क्या है SEZS? भारत को कैसे हो रहा इसका फायदा

क्या है SEZS? भारत को कैसे हो रहा इसका फायदा

नई दिल्ली: भारत सरकार सभी स्तरों पर लोगों के लिए दिन पर दिन नई योजनाएं लाती रहती हैं। जिसका लाभ पूरे देशवासीयों को मिलता हैं। इन योजनाओं में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच एक संयुक्त गठबंधन होता है। जो आपस में मिलकर लोगों के कल्याण के लिए काम करता है। सरकार द्वारा बहुत सी योजनाएं शुरू की गई है, जैसे किसानों के लिए, बेरोजगार युवाओं के लिए, बेटियों के लिए और साथ ही वृद्ध महिलाओं के लिए जिसका लाभ हम सभी लेते हैं। इसके चलते आज हम आपको ऐसी ही सरकार की एक योजना के बारे में बताएं जो ऑफिस में काम करने वाले लोगों के लिए हैं।  

SEZS (विशेष आर्थिक क्षेत्र)

विशेष आर्थिक क्षेत्र या सेज़ उस क्षेत्र को कहते हैं, जहां से विभिन्न तरह के व्यापार, उत्पादन और तमाम व्यापारिक गतिविधियां होती हैं। इन क्षेत्रों को सरकार बिजनेस के लिए सुगम बनाती है और बहुत ही प्लानिंग से इन जगहों का विस्तार किया जाता है। विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित करने के मामले में भारत शीर्ष देशों में शामिल है। जहां से तमाम व्यापारिक गतिविधियां चलती हैं और लाखों लोगों के रोजगार का केंद्र बनती है। बता दें कि 1965 में ही भारत ने कांडला इलाके में एक विशेष क्षेत्र स्थापित किया था। उस समय इसका नाम एक्सपोर्ट प्रमोशन क्षेत्र (EPZ) रखा गया था।

SEZS पर संभवनाएं

इस पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल कहते है कि ये बनाने से  छोटे शहरों में नौकरियों की संभवनाएं और सेवाओं के विस्तार की उम्मीद की जा रही है। व्यापार बोर्ड की बैठक के बाद मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कोरोनाकाल में स्पेशल इकोनॉमिक जोन्स में वर्क फ्रॉम होम शुरू किया गया था। इसकी सबने तारीफ की थी। और नतीजा ये रहा कि सेवा क्षेत्र के निर्यात (बीपीओ, आईटी, बिजनेस प्रोसेसिंग, आउटसोर्सिंग) में बड़ा उछाल आया। बीते साल 254 बिलियन डॉलर का उछाल मिला था। साथ ही आपको बता दें कि कुछ महीने पहले ही वाणिज्य मंत्रालय की ओर से स्पेशल इकोनॉमिक जोन की इकाइयों में काम कर रहे 50 प्रतिशत तक के कर्मचारियों को घर से काम करने की इजाजत दी थी। जिसमें कांट्रेक्ट में काम करने वाले लोग भी शामिल थे। वर्क फ्रॉम होम की इजाजत अधिकतम साल भर के लिए दी गई थी।

कब लागू हुआ SEZ ACT

साल 2000 से पहले वाजपेयी सरकार ने एक पॉलिसी को मंजूरी दी थी जिसमें ऐसे आर्थिक क्षेत्र बनाने की योजना थी। इसके बाद यूपीए सरकार ने अपने देश में SEZ Act को 2006 में लागू किया था। इस एक्ट में टैक्स में छूट और जमीन मुहैया कराए जाने की भी बात थी। सेज की मदद से सरकार विदेशी निवेशकों को आकर्षित करना चाहती थी। इसके अलावा एक्सपोर्ट को भी प्रमोट करना चाहती थी। निवेशकों को आकर्षित करने के लिए स्पेशल इकोनॉमिक जोन में निवेशकों को टैक्स में कई तरह की छूट भी दी गई थी।

अभी कितने हैं स्पेशल इकोनॉमिक जोन

पीआईबी से मिले डाटा के मुताबिक सेज एक्ट 2005 के पहले 7 केंद्रीय और 12 राज्य के निजी सेक्टर की ओर से इकोनॉमिक जोन बन चुके थे। सेज एक्ट 2005 के बाद से 425 स्पेशल इकोनॉमिक जोन बनाने का प्रस्ताव रखा गया। देश में 378 सेज बनाने की अधिसूचना जारी की जा चुकी है। जिसमें से अब तक 265 सेज पूरी तरह से काम करना शुरू कर चुकि हैं।

8 राज्यें में स्पेशल इकोनॉमिक जोन

अभी देश में कुल 8 स्पेशल इकोनॉमिक जोन हैं। इसमें सांताक्रूज (महाराष्ट्र), कोच्चि (केरल), कांडला और सूरत (गुजरात), चेन्नई (तमिलनाडु), विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश), फाल्टा (पश्चिम बंगाल) और नोएडा (उत्तर प्रदेश) में हैं। इसके अलावा इंदौर (मध्य प्रदेश) में एक सेज अब संचालन के लिए तैयार है।

 

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