"देश बहुसंख्यक के हिसाब से चलेगा" इलाहबाद हाईकोर्ट के जज की टिप्पणी पर SC ने मांगा ब्योरा

Supreme Court Asked On Detail About SC Judge: इलाहबाद हाईकोर्ट के जज के एक बयान से हंगामा खड़ा हो गया है। अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के जज का ब्योरा मांग लिया है। दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर यादव विश्व हिन्दू परिषद के कार्यक्रम में पहुंचे थे। यहां उन्होंने कहा था कि मुझे कोई झिझक नहीं है कि यह देश हिन्दुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यक लोगों की इच्छा के अनुसार चलेगा। कानून यकिनन बहुसंख्यकों के अनुसार काम करता है।                                                             

उन्होंने कहा था कि इसे परिवार या समाज के संदर्भ में देखें केवल वहीं स्वीकार किया जाएगा, जो बहुसंख्यक के कल्याण और खुशी के लिए फायदेमंद हो। इस दौरान हाईकोर्ट के अन्य जज दिनेश पाठक भी मौजूद थे।                                     

कई पत्नियां और तीन तलाक स्वीकार नहीः शेखर यादव

शेखर यादव  ने कहा था कि कई पत्नियां रखना, तीन तलाक और हलाला जैसी प्रथाएं अस्वीकार्य है। अगर आप कहते हैं कि हमारा पर्सनल लॉ इसकी अनुमति देता है, तो इसे स्वीकार किया जाएग। आप उन महिला का अपमान नहीं कर सकते, जिस हमारे वेदों में देवी की मान्यता दी गई है। उन्होंने कहा था कि आप चार पत्नियों रखने, हलाला करने या तीन तलाक के अधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं। जस्टिस यादव ने कहा था कि यूसीसी की बात सिर्फ वीएचपी, आरएसएस या हिन्दू धर्म नहीं करता है बल्कि देश की टॉप अदालत भी इसके बारे में बात करती है।        

सुप्रीम कोर्ट ने मांगा ब्योरा   

वहीं, हाईकोर्ट के जज के बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला विचाराधीन है। हाईकोर्ट से विस्तृत जानकारी मांगी गई है। बता दें कि इससे पहले कैंपेन फॉर ज्यूडीशियल अकाउंटटैबिलिटी एंड रिफॉर्म्स ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को चिट्ठी लिखखर इसकी शिकायत की थी। चिट्ठी के द्वारा शेखर यादव के बयान की जांच करने की मांग की गई है। साथ ही कहा गया है कि जांच होने तक जस्टिस को सभी न्यायिक कार्यों से दूर रखा जाए।                                                                                                              

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