महादेव के क्रोध से आज भी खौलता है इस कुंड का पानी, विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया इसका रहस्य

महादेव के क्रोध से आज भी खौलता है इस कुंड का पानी, विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया इसका रहस्य

Lord Shiva Mandir: हिंदू धर्म में देवों के देव महादेव को त्रिदेवों में गिना जाता है। महादेव को रुद्र, भोलेनाथ, महेश, शंकर जैसे कई नामों से पुकारा जाता है। ऐसे में भगवान शिव के करोड़ों भक्त भी हैं। शिव जी से जुडी कई अलौकिक पौराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं। बता दें, भारत में भगवान शिव के बहुत से प्राचीन और चमत्कारी मंदिर मौजूद हैं। इन सभी मंदिरों की अलग-अलग मान्यता भी है।

ऐसा ही एक चमत्कारी मंदिर हिमाचल प्रदेश में भी मौजूद हैं। एक ऐसा मंदिर जहां कड़कती ठंड में भी पानी उबलता रहता है। कहा जाता है कि यहां ही क्रोध में आकर भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख खोली थी। वहीं इस मंदिर और यहां के उबलते पानी से जुड़ी भगवान शिव की एक कथा भी प्रचलित है। 

हिमाचल प्रदेश का शिव मंदिर

बता दें, ये मंदिर हिमाचल प्रदेश में कुल्लू से 45 किलोमीटर दूर मणिकर्ण में स्थित हैं। ये हिन्दू और सिख धर्म दोनों का ही ऐतिहासिक धर्म स्थल है। बता दें, मणिकर्ण से पार्वती नदी बहती है। जिसके एक ओर शिव मंदिर है और दूसरी ओर गुरुनानक देव का एतिहासिक गुरुद्वारा है। जिसे मणिकर्ण साहिब के नाम से जाना जाता है।

ऐसे में यहां का उबलता पानी आज भी एक रहस्य बना हुआ है। जिसके बारे में अब तक विज्ञान भी कुछ नहीं बता सका है। वहीं, प्रचलित कथाओं की माने तो शेषनाग ने भगवान शिव के क्रोध से बचने के लिए यहां एक दुर्लभ मणि फेंकी थी। इसके बाद भगवान शिव ने क्रोधित होकर अपनी तीसरी आंख खोली थी।

भगवान शिव से जुड़ी कथा

मणिकर्ण के शिव मंदिर से जुड़ी एक कथा बहुत प्रचलित हैं। कथा के अनुसार, एक बार नदी में क्रीड़ा करते समय माता पार्वती के कान का कुंडल का मणि पानी में गिर जाता है। जो बहते हुए पाताल लोक पहुंच गया था। तब भगवान शिव ने अपने गणों को मणि ढूंढने को कहा। लेकिन बहुत ढूंढने पर भी उन्हें वह मणि नहीं मिली।

इस बात से क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपना विकराल रूप धारण कर अपना तीसरा नेत्र खोल लिया। कहा जाता है कि तीसरा नेत्र खुलते ही भगवान शिव के नेत्रों से नैना देवी प्रकट हुईं। जिसके बाद नैना देवी ने पाताल में जाकर शेषनाग से मणि लौटाने को कहा। इसके बाद शेषनाग ने भगवान शिव को वह मणि भेंट कर दी। इसी वजह से नदी का पानी उबलने लगा, जो आज भी ऐसा ही है।

मंदिर से जुड़ी धार्मिक मान्यता

मान्यतायों के अनुसार, इस पवित्र पानी में स्नान करने से स्किन डिसीज, गठिया जैसे कई बीमारियां ठीक हो जाती हैं। इसी के साथ मणिकर्ण के गुरुद्वारा साहिब में बना लंगर इसी उबलते पानी में तैयार किया जाता है। इसके अलावा मान्यता है कि श्रीराम ने कई बार इस जगह पर भगवान शिव की आराधना और तपस्या की थी। बता दें, आज भी श्रीराम की तपस्या स्थली मणिकर्ण में भगवान राम का एक पुराना और भव्य मंदिर है।  

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