आज है मासिक दुर्गाष्टमी, धन-संपत्ति का आशीर्वाद पाने के लिए इस तरह करें मां दुर्गा को प्रसन्न
Masik Durga Ashtami 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान दुर्गाष्टमी का व्रत किया जाता है। यह दिन मां दुर्गा को समर्पित है। इसलिए इस दिन उनकी विधि-विधान से पूजा की जाती है। मुख्य दुर्गाष्टमी जिसे महाष्टमी कहते हैं। आश्विन माह में नौ दिन के शारदीय नवरात्रि उत्सव के दौरान पड़ती है। मासिक दुर्गाष्टमी को मास दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि इस व्रत से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति आती है। इस बार मासिक अष्टमी का व्रत आज यानी 08 दिसंबर को रखा जा रहा है। तो आइए जानते हैं कि देवी मां की पूजा के लिए कौन-सा समय शुभ रहेगा।
दुर्गाष्टमी व्रत 2024 का शुभ-मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 8 दिसंबर की सुबह 9 बजकर 44 मिनट पर होगी। जिसका समापन 9 दिसंबर को सुबह 8 बजकर 3 मिनट पर होगा।
वहीं, मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त 8 दिसंबर की सुबह 5 बजकर 13 मिनट से सुबह 6 बजकर 7 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा 8 दिसंबर की निशिता मुहूर्त रात 11 बजकर 46 मिनट से रात 12 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
दुर्गाष्टमी व्रत का महत्व
मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन व्रत रखने और मां अंबे की उपासना करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। मासिक दुर्गाष्टमी के दिन माता रानी की पूजा उपासना करने से समस्त कष्टों से मुक्ति मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ जो भी भक्त मां दुर्गा की आराधना करता है, देवी मां की कृपा से उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
मां दुर्गा की ऐसे करें पूजा
मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सबसे पहले स्नान आदि कर मंदिर की साफ सफाई करें।
माता दुर्गा के जलाभिषेक के लिए एक चौकी पर प्रतिमा स्थापित करें और व्रत का संकल्प लें।
मां दुर्गा का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें।
अब माता को लाल चंदन, सिंदूर, शृंगार का समान और लाल पुष्प अर्पित करें।
मंदिर में दुर्गा माता के सामने घी का दीपक प्रज्वलित करें।
पूरी श्रद्धा के साथ माता दुर्गा की आरती करें और क्षमा प्रार्थना करे।
अंत में दुर्गा माता को भोग लगाकर लोगों को प्रसाद वितरित करें।
देवी दुर्गा मंत्र
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।
या देवी सर्व भूतेषु विद्या रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।।
ऊँ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते।।
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
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