राम रहीम को उम्रकैद से भी बड़ी सजा , 10 नहीं 20 साल से भी ज्यादा काटेंगे जेल।

राम रहीम को उम्रकैद से भी बड़ी सजा , 10 नहीं 20 साल से भी ज्यादा काटेंगे जेल।

बीस साल पहले ही कैद हो चुकी थी ,पर अब तो साल की गिनती का भी कोई मतलब नहीं रह गया क्योंकि यहां तो अब बाबा की पूरी उम्र कैद ही कर दी गई है यानी अब जब तक की जो ज़िंदगी है वो सलाखों के पीछे ही है।

 गुरमीत राम रहीम और उसके तीन गुर्गों को पत्रकार रामचंद्र प्रजापति के कत्ल के इलज़ाम में पंचकुला की सीबीआई कोर्ट ने उम्र कैद की सज़ा सुना दी है खास बात ये है कि राम रहीम को इस सज़ा की खबर भी उसी जेल में दी गई जिस जेल में वो 2017 से कैदी नंबर 1997 के नाम से पहली किश्त के तहत मिली बीस साल कैद की सज़ा काट रहा है।

2009 में बाबा राम रहीम कैसे थे 2019 में कैसे कैसे हो गए और 2029 में तो ना जाने कैसे होंगे क्योंकि अब ये तय हो गया है कि पहले से साध्वियों के बलात्कार के जुर्म में 2017 से 20 साल की जेल काट रहे बाबा अभी लंबे वक्त यहीं रहेंगे क्योंकि रामचंद्र छत्रपति मर्डर केस में अदालत का फ़ैसला आ गया पत्रकार के कत्ल के लिए बाबा को उम्रक़ैद की सज़ा मिली है अब ज़िंदगी भर बाबा गुरमीत राम रहीम जेल में रहेंगे।

अदालत ने उन्हें पत्रकार रामचंद्र छत्रपति मर्डर केस में जो उम्रक़ैद की सज़ा दी है, वो उन्हें उन 20 सालों के अलावा काटनी है जो बाबा को साध्वियों के साथ बलात्कार के मामले में मिली है यानी मरते दम तक जेल में ही रहेंगे बाबा बाबा की अभी कई और करतूतों का हिसाब होना अभी बाकी है कुल मिलाकर बाबा अब ये मान लें कि जेल ही उनका स्थाई पता है

गुरूवार की दोपहर बाबा राम रहीम को ये खुशखबरी पंचकुला में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए दी पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के मर्डर के मामले में सीबीआई के वकील ने फांसी देने की मांग की थी मगर अदालत ने बाबा को कुल 14 साल सज़ा-ए-बामुशक्कत दे दी आपको बता दें कि 24 अक्टूबर 2002 को दिनदहाड़े बाइक पर सवार दो शूटरों ने छत्रपति को पांच गोलियां मारी थी जिसके बाद 21 नवंबर 2002 को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में रामचंद्र छत्रपति की मौत हो गई थी अदालत ने बाबा राम रहीम को उम्रकैद की सज़ा देने के अलावा उनके तीन सहयोगियों को भी उम्रकैद साल की सज़ा सुनाई गई है

आपको बता दें कि छत्रपति की मौत के बाद साल 2003 में सिरसा पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज किया था मगर राम रहीम की ऊंची पहुंच के चलते केस में आगे कुछ नहीं हुआ बाद में बलात्कार के मामले के साथ-साथ 2006 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति मर्डर केस को भी अदालत के आदेश पर हरियाणा पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दिया गया शुरूआती तफ्तीश के बाद 2007 में सीबीआई ने इस मामले में राम रहीम और उसके तीन लोगों कुलदीप सिंह, निर्मल सिंह और कृष्ण लाल को आरोपी बनाते हुए आरोप पत्र दाखिल कर दिया इसमें राम रहीम को इस हत्याकांड का मुख्य आरोपी बताया गया था

इस मामले में कुल 46 गवाह पेश किए गए थे मगर राम रहीम को गुनहगार ठहराने में जिसकी गवाही सबसे ज्यादा अहम साबित हुई वो कोई और नहीं बल्कि राम रहीम का अपना पूर्व ड्राइवर खट्टा सिंह था खट्टा सिंह ने बाकायदा कोर्ट में गवाही दी थी कि गुरमीत राम रहीम ने उसके सामने ही पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या करने का हुक्म जारी किया था।

 

 

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