Rajyasabha Election: राज्यसभा चुनाव में दांव पर लगी दिग्गजों की साख, गुणा जोड़ की राजनीति में जुटी सियासी पार्टियां

Rajyasabha Election: राज्यसभा चुनाव में दांव पर लगी दिग्गजों की साख, गुणा जोड़ की राजनीति में जुटी सियासी पार्टियां

नई दिल्ली: देश में राज्यसभा चुनाव होने में अब कुछ ही घंटे बाकी है. राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के कई दिग्गजों की साख दांव पर लगी है. सभा राजनीतिक पार्टियां गुणा जोड़ की राजनीति करने में लगी है. बीजेपी ने मध्य प्रदेश और गुजरात में कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया है तो वहीं, मणिपुर में कांग्रेस ने NPP को साथ लेकर बीजेपी का समीकरण बिगाड़ दिया है.  झारखंड में JMM प्रमुख हेमंत सोरेन महागठबंधन की नैया पार लगाने के लिए मोर्चा संभाले हुए हैं. राज्यसभा चुनाव में अब 20 घंटे से भी कम समय बचा हुआ है.

मध्यप्रदेश का सियासी समीकरण

मध्य प्रदेश में कुछ महीनों पहले हुए सियासी उठापटक के बाद राज्यसभा चुनाव का समीकरण बदल गया है. मध्य प्रदेश में तीन राज्यसभा सीटों पर चार प्रत्याशी चुनावी मैदान में है. बीजेपी से ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी तो कांग्रेस से दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरैया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. कांग्रेस विधायकों के बगावत के बाद राज्यसभा के लिए दोनों सीटें जीतने का पार्टी का गणित गड़बड़ा गया है. कांग्रेस अपने दो में से एक सीट ही जीत सकती है जबकि बीजेपी की दोनों सीटों की राह आसान हो गई है.

राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए प्रथम वरीयता में 52 मतों की जरूरत है. मौजूदा समय में विधानसभा में बीजेपी के पास 107 विधायक हैं, कांग्रेस के विधायकों की संख्या 92 है. बसपा के 2 विधायक हैं, 1 विधायक सपा से है और 4 विधायक निर्दलीय हैं जबकि 24 सीटें फिलहाल खाली हैं. बुधवार को शिवराज की डिनर पार्टी में बसपा, सपा और निर्दलियों की मौजदूगी ने बीजेपी की राह को आसान कर दिया है. वहीं, कांग्रेस की बैठक में पार्टी के करीब 6 विधायक शामिल नहीं हो सके, जिससे कांग्रेस के दूसरे प्रत्याशी के लिए जीतना मुश्किल लग रहा है.

गुजरात की चार सीटों का सियासी समीकरण

देश को पीएम देने वाले गुजरात में भी कांग्रेस की साख दांव पर लगी है. पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के गृह राज्य में चार राज्यसभा सीटों पर चुनाव होना है. जिसमें पांच प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं. बीजेपी की ओर से अभय भारद्वाज और रमीलाबेन बारा के साथ तीसरे प्रत्याशी के तौर पर नरहरी अमीन मैदान में हैं जबकि कांग्रेस ने शक्ति सिंह गोहिल और भरत सिंह सोलंकी की साख दांव पर लगी हुई है. गुजरात में राज्यसभा के एक सदस्य को जीतने के लिए 35 वोटों की जरूरत है. बीजेपी के पास 103 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के पास 65 विधायक बचे हैं. इसके अलावा 2 BTP, एक NCP और एक निर्दलीय विधायक हैं. ऐसे में कांग्रेस अगर BTP, NCP और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन हासिल करने में कामयाब रहती है तो भी उसे अपने प्रत्याशी को जीतने के लिए एक विधायक के वोट की जरूरत पड़ेगी. वहीं, कांग्रेस ने शक्ति सिंह गोहिल को प्रथम कैंडिडेट बनाकर उनकी राह को आसान कर दिया है, लेकिन भरत सिंह सोलंकी को अपनी सीट जीतने में कड़ी मशक्कत करनी होगी. गुजरात में कांग्रेस की साख दांव पर लग गई है. गुजरात में जीतना कांग्रेस के लिए इसलिए भी मुश्किल लग रहा है. गुजरात में बीजेपी के दिग्गज नेता अमित शाह उलटफेर करने में सक्षम है.

झारखंड में फंसा पेंच

झारखंड की 2 राज्यसभा सीटों पर 3 उम्मीदवार मैदान में है. JMM से शिबू सोरेन, बीजेपी से झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश तो कांग्रेस से शहजादा अनवर किस्मत आजमा रहे हैं. विधायकों के आंकड़े के लिहाज से JMM के शिबू सोरेन की एक सीट पक्की है और दूसरी सीट के लिए कांग्रेस और बीजेपी के बीच शह-मात का खेल जारी है. दोनों पार्टियां आजसू और अन्य विधायकों को साधने में जुटी हैं. झारखंड में राज्यसभा चुनाव की एक सीट के लिए 27 वोट चाहिए. बीजेपी के पाले में 25 विधायक है. बीजेपी इस आंकड़े को बढ़ाने के लिए गुणा जोड़ की राजनीति में जुटी हुई है ताकि, चुनाव में जीत मिल सके.

राजस्थान में कांग्रेस के लिए राह आसान

वीरभूमि राजस्थान में राज्यसभा की तीन सीटों पर चुनाव होना है. जिसमें चार प्रत्याशी मैदान में है. जिससे मुकाबला और भी रोचक हो गया है. कांग्रेस की ओर से केसी. वेणुगोपाल के अलावा दूसरे उम्मीदवार नीरज डांगी हैं. वहीं, बीजेपी ने राजेंद्र गहलोत और ओंकार सिंह लखावत को मैदान में उतार है. बता दें कि राजस्थान में चुनाव जीतने के लिए 51 वोटों की आवश्यकता होगी. ऐसे में कांग्रेस की राह आसान लग रही है. बीजेपी भी वोट पाने के लिए रात दिन गुणा जोड़ की राजनीति कर रही है. राजस्थान में कांग्रेस के 107 विधायक हैं, इसमें पिछले साल BSP से टूटकर कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायक शामिल हैं. कांग्रेस को 12 निर्दलीयों का समर्थन भी हासिल है. दूसरी ओर, बीजेपी के 72 विधायक हैं, हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के तीन विधायकों का समर्थन मिलाकर यह आंकड़ा 75 पहुंचता है. जिससे बीजेपी की मुश्किल बढ़ती हुई नजर आ रही है. राजस्थान में कांग्रेस की राह आसान लग रही है.

 

 

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