Rajnath Singh on Bharat-china Border Dispute: भारत-चीन सीमा विवाद को रक्षा मंत्री राजनाथ ने जल्द सुलझने की उम्मीद जताई, कहा- देश का मस्तक नहीं झुकने देंगे

Rajnath Singh on Bharat-china Border Dispute: भारत-चीन सीमा विवाद को रक्षा मंत्री राजनाथ ने जल्द सुलझने की उम्मीद जताई, कहा- देश का मस्तक नहीं झुकने देंगे

नई दिल्ली: इन दिनों भारत का चीन के साथ सीमा विवाद फिर गहराया हुआ है. हाल ही में अमेरिका ने भी इस मामले में मध्यस्थता की बात कह इसे वैश्विक बनाने की कोशिश की थी पर भारत और चीन ने इसको नकार दिया. बहरहाल चीन की सीमा पर बेवजह की ज्यादती पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ ने नर्म रुख अख्तियार किया है. चीन के साथ लद्दाख सीमा पर तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भरोसा जताया है कि जल्द ही मामला सुलझा लिया जाएगा. बता दें कि दोनों देशों के बीच मिलिटरी और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत में यह बात सामने आई है. एक निजी न्यूज चैनल से बातचीत में राजनाथ ने कहा कि देश के पास आज सक्षम नेतृत्व है. देश का मस्तक नहीं झुकने देंगे. राजनाथ ने कहा कि देश के लोगों को इसका पूरा भरोसा है.
 
रक्षा मंत्री ने कहा कि उन्होंने नेपाल के साथ भी लिपुलेख विवाद की बातचीत से सुलझने की उम्मीद जताई है. उन्होंने कहा कि हम देश के स्वाभिमान पर चोट नहीं पहुंचने देंगे. भारत किसी को आंख नहीं दिखाना चाहता. वहीं बॉर्डर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर चीन आपत्ति जता चुका है जिस पर राजनाथ ने कहा कि यह हमारा हक है. पड़ोसी देशों के साथ अच्छे रिश्ते बनाकर चलने की भारत की स्पष्ट नीति रही है. हमारी यह कोशिश बहुत पहले से चलती रही है. कभी-कभी चीन के साथ ऐसी स्थितियां पैदा हो जाती हैं. मई के महीने में भी ऐसी स्थितियां पैदा हुई हैं लेकिन सुलझाने की कोशिश जारी है. चीन के राष्ट्रपति की तरफ से भी स्पष्ट तौर पर कहा गया कि कूटनीतिक बातचीत के जरिए मामले का हल करना चाहते हैं. तनाव न बढ़े, भारत की भी यही कोशिश है.
 
तीसरे की मध्यस्थता को नकारा 
 
रक्षा मंत्री ने कहा कि मिलिटरी लेवल पर बातचीत जरूरी हो तो मिलिटरी लेवल पर और डिप्लोमैटिक लेवल पर जरूरी हो तो उस स्तर पर बातचीत करके सुलझाया जाना चाहिए. मिलिटरी और डिप्लोमैटिक लेवल पर चीन के साथ बातचीत चल रही है. उन्होंने चीन के बीच किसी तीसरे की मध्यस्थता को लेकर कहा कि इसका सवाल ही नहीं है. अमेरिका के रक्षा मंत्री से कल हमारी बातचीत हुई है. हमने उन्हें बताया कि भारत ने पहले से ही एक मैकेनिजम डिवेलप किया है जिसके तहत चीन के साथ कोई विवाद होता है तो उसे मिलिटरी और डिप्लोमैटिक बातचीत से सुलझाते हैं. चीन कुछ स्थानों पर एलएसी को स्वीकार करता है लेकिन कुछ जगहों पर वह उससे आगे तक दावा करता है. ऐसा ही हमारे साथ भी है. यही वजह है कि कभी वे हमारे क्षेत्र में आ जाते हैं तो कभी हम भी वहां चले जाते हैं, जिस पर वह दावा करते हैं.
 
 

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