International Monetary Fund: पाकिस्तान को फिर मिलेगा IMF का लोन, लेकिन इन कठिन शर्तों को पूरा करना होगा!

International Monetary Fund: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने हाल ही में घोषणा की है कि वह पाकिस्तान को विस्तारित निधि सुविधा (EFF) कार्यक्रम के तहत 7 अरब डॉलर के पैकेज की दूसरी किस्त के रूप में 1.02 अरब डॉलर देने की तैयारी कर रहा है। यह घोषणा 24 मई 2025 को IMF के स्टाफ दौरे के बाद आई। जिसमें पाकिस्तान के वित्त वर्ष 2026 के बजट पर चर्चा हुई। हालांकि, इस कर्ज के साथ IMF ने 11 नई कठिन शर्तें लागू की हैं। जिससे पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
क्या हैं IMF की नई शर्तें?
IMF ने पाकिस्तान से कई आर्थिक और नीतिगत सुधारों की मांग की है। जिसमे सबसे प्रमुख शर्त है महंगाई को 5-7% के दायरे में रखना, जो मौजूदा आर्थिक हालात को देखते हुए आसान नहीं है। इसके अलावा, 17.6 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये के संघीय बजट को जून 2025 तक संसद से मंजूरी लेना अनिवार्य है। ऊर्जा क्षेत्र में भी चार नई शर्तें शामिल हैं। जिनमें 1 जुलाई तक बिजली शुल्क का पुनर्मूल्यांकन और लागत वसूली के स्तर पर बिजली दरें बनाए रखना शामिल है। साथ ही, सरकार को 2027 के बाद की वित्तीय रणनीति और 2028 तक नियामक ढांचे की योजना तैयार करनी होगी।
भारत-पाक तनाव का असर
IMF ने अपनी रिपोर्ट में भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को भी चिंता का विषय बताया है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ी है। भारत ने इस बेलआउट पैकेज का कड़ा विरोध कियाष यह दावा करते हुए कि पाकिस्तान इस फंड का दुरुपयोग कर आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कर सकता है। IMF ने चेतावनी दी है कि यह तनाव पाकिस्तान के राजकोषीय और सुधार लक्ष्यों को प्रभावित कर सकता है।
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट से जूझ रही है। और वह विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर करने के लिए IMF पर निर्भर है। अब तक, IMF ने पाकिस्तान को 25 से अधिक बेलआउट पैकेज दिए हैं। लेकिन आर्थिक स्थिति में अभी तक कोई सुधार नहीं हुआ। नई शर्तों के साथ कुल 50 शर्तें लागू हो चुकी हैं। जिनमें नए कृषि आयकर कानून, टैक्सपेयर की पहचान और रिटर्न प्रोसेसिंग शामिल हैं।
पाकिस्तान के लिए इन शर्तों को पूरा करना आसान नहीं होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि कठिन आर्थिक सुधार और भारत के साथ तनाव के बीच सरकार पर दबाव बढ़ेगा। IMF ने स्पष्ट किया है कि शर्तों में किसी भी तरह की चूक से भविष्य में कर्ज की किस्तें रुक सकती हैं।
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