पाकिस्तान की बढ़ी मुश्किलें, FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल होने की संभावना, जानिए ब्लैक लिस्ट में कौन से देश हैं शामिल

FATF Grey List: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। हाल ही में भारत की ओर से की गई पहल के बाद पाकिस्तान को एक बार फिर से फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ग्रे लिस्ट में शामिल किया जा सकता है। इससे पाकिस्तान को आर्थिक तौर पर बड़ा नुकसान हो सकता है। बता दें, पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब है, और अब FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल होने से उसकी मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं। पहले भी एक बार पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल किया जा चुका हैं। उसने इससे बाहर निकलने के लिए काफी मेहनत की थी।
क्या है FATF की ग्रे लिस्ट?
FATF एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए काम करती है। यह दो तरह की लिस्ट जारी करती है - ग्रे लिस्ट और ब्लैक लिस्ट। ग्रे लिस्ट में उन देशों को शामिल किया जाता है, जिन देशों में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी फंडिंग रोकने में कुछ कमियां हैं, लेकिन वह इससे बाहर निकलने के लिए एफएटीएफ के साथ सहयोग करने को तैयार हैं। ग्रे लिस्ट में शामिल होने से देश में निवेश कम हो जाता है, कई बड़े निवेशक अपना निवेश हटा लेते हैं और देश को मिलने वाली वित्तीय मदद भी कम हो जाती है। इसके अलावा, फंडिंग का उपयोग कैसे किया जा रहा है, इसकी निगरानी बढ़ जाती है और देश पर कई प्रतिबंध भी लगाए जाते हैं। इससे देश की आर्थिक स्थिति और भी खराब हो सकती है।
कौन-कौन से देश ग्रे लिस्ट में शामिल हैं?
वर्तमान में अल्जीरिया, अंगोला, बुल्गारिया, बुर्किना फासो, कैमरून, कोटे डी आइवर, क्रोएशिया, कांगो, हैती, केन्या, लाओ, लेबनान, माली, मोनाको, मोजाम्बिक, नामिबिया, नेपाल, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण सूडान, सीरिया, तंजानिया, वेनेजुएला, वियतनाम और यमन ग्रे लिस्ट में शामिल हैं। पाकिस्तान को 2018 में FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल किया गया था और 2022 में वह इस लिस्ट से बाहर आया था। अगर पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में शामिल किया जाता है, तो यह भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत होगी। बता दें FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल होने से पाकिस्तान को आर्थिक तौर पर बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। इससे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और भी खराब हो सकती है। भारत की ओर से की गई पहल के बाद अब देखना यह है कि FATF क्या निर्णय लेता है।
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