Hemant Soren Oath Ceremony: झारखंड में आज हेमंत सोरेम सीएम पद की शपथ लेने वाले हैं। बड़ी बात यह है कि उनके अलावा कोई शपथ नहीं लेगा। सीधा मतलब यह है कि कैबिनेट विस्तार बाद में होगा। जिसके बाद कांग्रेस खेमे में टेंशन बढ़ गई है। अब सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। क्या इसके पीछे कोई रणनीति है?
कैबिनेट विस्तार बाद में क्यों?
बता दें कि झारखंड में इंडिया गठबंधन में चार दल हैं। इंडिया गठबंधन में जेएमएम, कांग्रेस, राजद और माले शामिल है। ऐसा में सभी पार्टी को खुश रखना हेमंत सोरेन के लिए माथापच्ची से कम नहीं है। बता दें कि 81सीटों वाली झारखंड विधानसभा में अधिकतम 12कैबिनेट मंत्री बनाए जा सकते हैं। जिसमें जेएमएम अकेले 7सीट पर दावा ठोक रही है। वहीं, कांग्रेस 4सीट पर एक मंत्री पद की मांग कर रही है। इसके अलावा एक-एक मंत्री पद कांग्रेस-माले मांग रही है। जिसके कारण हेमंत सोरेन की माथापच्ची बढ़ गई है।
अकेले शपथ लेने की वजह
बता दें कि झारखंड चुनाव के दौरान अकेले हेमंत सोरेन ने प्रचार का बागडोर संभाले रखा है। हेमंत सोरेने ने पत्नी कल्पना सोरेने के साथ 200से ज्यादा रैलियां की। इस दौरान उन्होंने गठबंधन के सहयोगी पार्टियों के लिए भी प्रचार किया। वैसे भी जेएमएम बड़े भाई की भूमिका में है। जिसके कारण जेएमएम कैबिनेट में 7मंत्री पद पर दावेदारी ठोक रही है।
पहले से ज्यादा मजबूत हुई जेएमएम
बता दें कि, 2019 में हेमंत सोरेन की पार्टी को 30 सीटों पर जीत मिली थी। जिसके बाद जेएमएम सरकार बनाने के जादुई आंकड़े को नहीं छू सकी थी। जेएमएम को कांग्रेस की उस वक्त जरूरत थी। कांग्रेस के समर्थन न मिलने पर हेमंत सोरेन का सरकार चलाना मुश्किल हो जाता। अब परिस्थितियां बदल गई है। कांग्रेस ने भले ही इस बार भी 16 सीटों पर जीत हासिल की है लेकिन, किंगमेकर की भूमिका में पार्टी नहीं है। 34 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली जेएमएम, आरजेडी और माले के समर्थन से आसानी से सरकार चला सकती है। इसलिए हेमंत सोरेन की पार्टी कांग्रेस को ज्यादा तरजीह नहीं दे रही है।
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