अब चांद पर इंसानी जीवन हुआ संभव! वैज्ञानिकों को मिली बड़ी उपलब्धि

अब चांद पर इंसानी जीवन हुआ संभव! वैज्ञानिकों को मिली बड़ी उपलब्धि

नई दिल्ली: चांद पर इंसानी कॉलोनी बनाना अब आसान हो सकता है। क्योंकि वैज्ञानिकों ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। दरअसल वैज्ञानिकों द्वारा चांद से लाई मिट्टी से पौधा उगानें में उपलब्धि हासिल की है। कहीं भी शहर बनाने के लिए सबसे पहले जरूरी वस्तुओं होती है खाना। अगर उस जगह की मिट्टी उर्वरक है तो वहां इंसानी जीवन संभव है और ये अब चांद पर भी संभव होता नजर आ रहा है।

आपको बता दें कि वैज्ञानिकों ने पहली बार चांद से लाई मिट्टी में पौधे उगाने में कामयाबी हासिल की है। अपोलो अभियान के दौरान अंतरिक्ष यात्री जो मिट्टी लाए थे, उसमें पौधे उगाने में सफलता मिली है। इस सफलता ने वैज्ञानिकों की उम्मीद बढ़ा दी है कि एक दिन चांद पर खेती संभव होगी। इससे चांद पर लंबे समय तक रहना आसान हो जाएगा और बार-बार वहां जाने का खर्चा भी बचेगा। नासा के प्रमुख बिल नेल्सन ने बताया कि  "नासा के लंबी अवधि के अभियानों के लिए यह खोज बहुत महत्वपूर्ण है। हमें चांद और मंगल पर मिले संसाधनों का भविष्य के अंतरिक्षयात्रियों के लिए भोजन पैदा करने, वहां रहने और अंतरिक्ष की गहराइयों को खंगालने के लिए प्रयोग करना है। इस प्रयोग के लिए फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने चांद से लाई गई सिर्फ 12 ग्राम यानी कुछ चम्मच मिट्टी का प्रयोग किया था।

यह मिट्टी अपोलो 11, 12 और 13 अभियानों के दौरान लाई गई थी। बहुत छोटे आकार के गमलों में उन्होंने इस मिट्टी की सिर्फ एक ग्राम मात्रा डाली और उसमें पानी व बीज डाले। उन्होंने पौधों को रोज पोषक तत्व दिए। इस प्रयोग के लिए वैज्ञानिकों ने हरी सरसों के एक करीबी रिश्तेदार को चुना था क्योंकि यह बहुत आसानी से उग जाता है और इस पर विस्तृत अध्ययन भी हुआ है। मुख्य शोधकर्ता आना-लीजा पॉल ने एक बताया कि"पहले छह दिन तक हर पौधा, चाहे वह चांद की मिट्टी में जन्मा हो या दूसरी जगह, एक जैसा दिखाई दिया। उसके बाद फर्क नजर आने शुरू हो गए। चांद की मिट्टी में उगे पौधे धीमे बढ़ रहे थे और उनकी जड़ें छोटी थीं।”

20 दिन बाद वैज्ञानिकों ने सभी पौधों को काटा और उनके डीएनए का अध्ययन किया। विशलेषण में पता चला कि चांद की मिट्टी में पौधों ने वैसा ही व्यवहार किया था जैसा कि वे खराब किस्म के हालात में, जैसे कि बहुत अधिक नमक वाली मिट्टी में उगाए जाने पर करते हैं। अब वैज्ञानिक इस बात पर अध्ययन करेंगे कि कैसे चांद की मिट्टी को पौधों के अनुकूल बनाया जाए।

Leave a comment