"ऐसी कोई त्रुटी नहीं जिस पर पुनर्विचार किया जाए...", सुप्रीम कोर्ट ने SC-ST आरक्षण में सब-कोटे के खिलाफ याचिका खारिज की
Supreme Court Rejected Plea Aganist SC-ST Category: उच्चतम न्यायालय ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति को मिलने वाले आरक्षण में उप-वर्गीकरण के अपने फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को ही इस संबंध में फैसला दिया था और कहा था कि यदि राज्य सरकारों को जरूरी लगता है कि एससी और एसटी कोटे के भीतर जातियों के लिए सब-कोटा तय किया जा सकता है। हालांकि एक वर्ग ने विरोध किया था और आंदोलन भी हुआ था। इसके अलावा याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इन पर ही शुक्रवार यानी 4 अक्टूबर को सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने विचार करने से मना कर दिया।
चीफ जस्टिस की बेंच कर रही सुनवाई
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 7 जजों की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि उस फैसले में ऐसी कोई त्रुटि नहीं थी, जिस पर पुनर्विचार किया जाए। अदालत ने कहा कि हमने पुनर्विचार याचिकाओं को देखा है। ऐसा लगता है कि पुराने फैसले में विचार करने लायक कुछ भी नहीं है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। चीफ जस्टिस की बेंच में जस्टिस बीआर गवई, विक्रम नाथ, बेला एम. त्रिवेदी, पंकज लेख मिथल, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा इस बेंच में शामिल थे। अदालत ने कहा कि याचिकाओं में कोई ठोस आधार नहीं है।
राज्यों के पास सब-क्लासिफिकेशन का अधिकार
बता दें कि इन याचिकाओं पर अदालत ने 24 सितंबर को ही सुनवाई की थी लेकिन फैसला आज के लिए सुरक्षित रख लिया था। इन याचिकाओं को संविधान बचाओ ट्रस्ट, आंबेडकर ग्लोबल मिशन, ऑल इंडिया एससी-एसटी रेलवे एम्प्लॉयी एसोसिएशन समेत कई संस्थाओं ने दायर किया गया था। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने 1 अगस्त को ही 6-1 के बहुमत से फैसला सुना दिया था। इसमें राज्य सरकारों को एससी और एसटी कोटे के सब-क्लासिफिकेशन के लिए हरी झंडी दी गई थी। इसके तहत कहा गया था कि यदि इन वर्गों में किसी खास जाति को अलग से आरक्षण दिए जाने की जरूरत पड़ती है तो इस कोटे के तहत ही उसके लिए प्रावधान किया जाना चाहिए।
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