PFI के 100 से ज्यादा ठिकानों पर NIA की छापेमारी, जानें PFI का पूरा इतिहास

PFI के 100 से ज्यादा ठिकानों पर NIA की छापेमारी, जानें PFI का पूरा इतिहास

नई दिल्ली: देश में लगातार NIA और ED की छापेमारी PFI  के ठिकानों पर चल रही हैं। अब तक पूरे देश में 100 से ज्यादा लोगों पर शिकंजा कसा जा चुका हैं। दिल्ली, हरियाणा से लेकर केरल, कर्नाटका तक में बड़े-बड़े नेताओं के खिलाफ कार्रवाही की जा रही है। NIA ने अब तक सबसे ज्यादा 22 लोगों को केरल से गिरफ्तार किया है। जबकि, महाराष्ट्र और कर्नाटक से 20-20 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके अलावा तमिलनाडु से 10, असम से 9, उत्तर प्रदेश से 8, आंध्र प्रदेश से 5, मध्य प्रदेश से 4, पुडुचेरी और दिल्ली से 3-3 और राजस्थान से 2 लोगों को गिरफ्तार किया है। NIA ने PFI के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओएमएस सलाम और दिल्ली अध्यक्ष परवेज अहमद को भी गिरफ्तार किया है।

जानें क्या है PFI?

केरल के 'नेशनल डेवलेपमेंट फ्रंट' (एनडीएफ़), तमिलनाडु के 'मनिथा निथि पसाराई' और 'कर्नाटक फ़ोरम फ़ॉर डिग्निटी' के 22 नवंबर, 2006 को हुए विलय ने 'पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया' (पीएफ़आई) को जन्म दिया था। आधिकारिक तौर पर पीएफ़आई की स्थापना 17 फ़रवरी, 2007 को हुई। तब से ये संस्था विवादों में रही है।

PFI में कितने सदस्य हैं, इसकी जानकारी संगठन नहीं देता है। हालांकि, दावा करता है कि 20 राज्यों में उसकी यूनिट है। शुरुआत में PFI का हेडक्वार्टर केरल के कोझिकोड में था, लेकिन बाद में इसे दिल्ली शिफ्ट कर लिया गया। ओएमए सलाम इसके अध्यक्ष हैं और ईएम अब्दुल रहीमान उपाध्यक्ष है। PFI की अपनी यूनिफॉर्म भी है। हर साल 15 अगस्त को PFI फ्रीडम परेड का आयोजन करता है। 2013 में केरल सरकार ने इस परेड पर रोक लगा दिया थी। वो इसलिए क्योंकि PFI की यूनिफॉर्म में पुलिस की वर्दी की तरह ही सितारे और एम्बलम लगे हैं।

कहां से आता है PFI को पैसा?

इस स्टिंग ऑपरेशन में शरीफ ने ये भी कबूल किया था कि उसे मिडिल ईस्ट देशों से 5 साल में 10 लाख रुपये की फंडिंग हुई है। शरीफ ने कबूला था कि PFI और सत्य सारणी को 10 लाख रुपये से ज्यादा की फंडिंग मिडिल ईस्ट देशों से हुई थी और ये पैसा उसे हवाला के जरिए आया था। फरवरी 2021 में यूपी पुलिस की टास्क फोर्स ने दावा किया था कि PFI को दूसरे देशों की खुफिया एजेंसियों से फंडिंग होती है, हालांकि, उसने उन देशों का नाम नहीं बताए थे। इससे पहले जनवरी 2020 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी जांच के बाद दावा किया था कि 4 दिसंबर 2019 से 6 जनवरी 2020 के बीच PFI से जुड़े 10 अकाउंट्स में 1.04 करोड़ रुपये आए हैं। इसी दौरान PFI ने अपने खातों से 1.34 करोड़ रुपये निकाले थे। 6 जनवरी के बाद CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और तेज हो गए थे।

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