Neeraj Chopra Classic 2025: पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश में काफी रोष है। लोगों के द्वारा 28 पर्यटकों की मौत का बदला लेने की मांग की जा रही है। लेकिन इस बीच लोगों के गुस्से का शिकार ओलंपिक विजेता नीरज चोपड़ा हो गए हैं। सोशल मीडिया पर नीरज चोपड़ा की जमकर आलोचना हो रही है। दरअसल, नीरज चोपड़ा के द्वारा “नीरज चोपड़ा क्लासिक”इवेंट के लिए पाकिस्तानी जैवलिन थ्रोअर अरशद नदीम को निमंत्रण भेजा गया था। सोशल मीडिया पर लगातार हो रहे आलोचना के बीच अब नीरज चोपड़ा की प्रतिक्रिया सामने आई है।
नीरज ने एक्स पर एक पोस्ट के माध्यम से कहा कि यह फैसला सिर्फ खेल और खिलाड़ियों के सम्मान से जुड़ा था, न कि किसी राजनीतिक या भावनात्मक एजेंडे से। इसके साथ ही उन्होंने उन लोगों पर कड़ा ऐतराज जताया, जिन्होंने उनकी मां को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। गौरतलब है कि नीरज चोपड़ा भारत में जैवलिन थ्रो को लेकर एक प्रतियोगिता का आयोजन करने वाले हैं। इसको लेकर उन्होंने दुनियाभर के कई एथलीट को निमंत्रण भेजा था। इसमें पाकिस्तानी एथलीट नदीम भी शामिल थे। हालांकि, पहलगाम घटना के बाद नदीम ने खुद भारत आने से इंकार कर दिया है।
नीरज चोपड़ा ने क्या कहा?
नीरज चोपड़ा ने कहा कि मैं आमतौर पर कम बोलता हूं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं जो गलत समझता हूं उसके खिलाफ नहीं बोलूंगा। खासकर जब बात हमारे देश के प्रति मेरे प्यार और मेरे परिवार के सम्मान पर सवाल उठाने की आती है। अरशद नदीम को नीरज चोपड़ा क्लासिक में प्रतिस्पर्धा करने के लिए बुलाने के मेरे फैसले के बारे में बहुत चर्चा हुई है और इसमें से ज्यादातर नफरत और गाली-गलौज ही है।
इसके आगे उन्होंने कहा कि मेरे परिवार को भी इससे बाहर नहीं रखा। मैंने अरशद को जो बुलावा भेजा था। वह एक एथलीट की तरफ से दूसरे एथलीट को था, इससे ज्यादा कुछ नहीं। एनसी क्लासिक का मकसद भारत में सर्वश्रेष्ठ एथलीटों को लाना था। पहलगाम में आतंकवादी हमले से दो दिन पहले सोमवार को सभी एथलीटों को बुलावा भेजा गया था। पिछले 48 घंटों में जो कुछ भी हुआ है, उसके बाद एनसी क्लासिक में अरशद की उपस्थिति पूरी तरह से असंभव थी। मेरा देश और उसके हित हमेशा पहले आएंगे। जो लोग अपने लोगों के नुकसान से गुजर रहे हैं, मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं उनके साथ हैं। पूरे देश के साथ-साथ मैं भी इस घटना से आहत और क्रोधित हूं।
नीरज चोपड़ा ने जताया दुख
नीरज चोपड़ा ने लिखा है कि मेरी ईमानदारी पर सवाल उठाते देखना दुखद है। मुझे दुख होता है कि मुझे उन लोगों के सामने खुद को समझाना पड़ता है जो बिना किसी अच्छे कारण के मुझे और मेरे परिवार को निशाना बना रहे हैं। हमें कुछ और ना समझाएं। लोग तुरंत अपनी राय बदल लेते हैं, जब मेरी मां ने एक साल पहले टिपप्णी की थी, तब उनके विचारों की तारीफ की गई थी। आज वही लोग उसी बयान के लिए उन्हें निशाना बनाने से पीछे नहीं हटे हैं। मैं इस बात के लिए कड़ी मेहनत करुंगा कि दुनिया भारत को याद रखे।
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