Nawazuddin Siddiqui Film Ghoomketu Review- ओटीटी पर रिलीज हुई नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म घूमकेतु, जाने कैसी है स्टोरी

Nawazuddin Siddiqui Film Ghoomketu Review- ओटीटी पर रिलीज हुई नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म घूमकेतु,  जाने कैसी है स्टोरी

नई दिल्ली :  कोरोना वायरस के कारण देश भर में लॉकडाउन लगा हुआ है.  ऐसे में फिल्म इंडस्ट्री का काम भी बंद पड़ा है. जिन फिल्म्स की शुटिंग कंपलीट हो चुकी है तो उन फिल्मों को सीधा ओटीटी पर रिलीज किया जा रहा है. हालांकी कई डिस्ट्रीब्यूटर ने अपील की है की वो बड़ी फिल्में ओटीटी पर रिलीज न करें. लेकिन कुछ प्रोड्यूसर अपनी फिल्म को नुकसान से बचाने के लिए ओटीटी पर फिल्म रिलीज कर रहे है पहली फिल्म जो रिलीज हुई हैं वो है नवाजुद्दीन सिद्दीकी की 'घूमकेतु'. देखा जाए तो यह 2020 की ईद रिलीज है, लिहाजा, फिल्म से कुछ उम्मीदें भी थीं लेकिन क्या यह उम्मीदों पर खरी उतरती है? फिल्म में घूमकेतु का एक डायलॉग है- "ये कॉमेडी बहुत कठिन चीज है, लोगों को हंसी आनी भी तो चाहिए....तो चलिए जानते हैं कैसी है निर्देशक पुष्पेन्द्र नाथ मिश्राकीफिल्म 'घूमकेतु’

नवाजुद्दीन सिद्दीकी मोहाना गांव के घूमकेतु बने है जो राइटर बनना चाहते हैं,उन्हेफिल्म की कहानी लिखनी है, इस ख्वाब को पूरा करने के लिए वह गांव के अखबार 'गुदगुदी'में नौकरी के लिएचक्कर काटता है. वहां उसे नौकरी तो नहीं मिलती, लेकिन एक सलाह जरुर मिलती है- कहानी लिखने के लिए संघर्ष जरूरी है फिर क्या "30 दिनों में बॉलीवुड राइटर कैसे बनें" नामक किताब को साथ में रखकर वह जिंदगी में संघर्ष करने मुंबई भाग आता है. यहां वह फिल्म प्रोड्यूसर को अपनी कहानियां सुनाता है.

घुमकेतु अपनी फिल्म में बड़े-बड़े स्टार रणवीर सिंह, सोनाक्षी सिन्हा को लेने के सपने देखता है. किंग खान शाहरुख खान के ऑफिस के चक्कर भी काटता है. रोमांटिक कहानी से लेकर, हॉरर, कॉमेडी सब ट्राई करता है. लास्ट में उसे निर्माता एक चान्स देता है उसे 30 दिनों तक का वक्त देता है कि वो कोई अच्छी सी कहानी लेकर आए. वहीं, दूसरी ओर घर से भागे घूमकेतु को पकड़ने का जिम्मा मिलता है पुलिस अफसर बदलानी यानी अनुराग कश्यप को, जिसे 30 दिनों में किसी भी तरह घूमकेतु को पकड़ना है, अब इन 30 दिनों में घूमकेतु राइटर बन पाता है या उसे पुलिस पकड़ लेती है, इसी के आगे-पीछे पूरी कहानी घूमती है.

बात कि जाए फिल्म की तो एक भी किरदार आपको 2 घंटे बैठाकर नही रख पाता. पुष्पेन्द्र नाथ मिश्रा के डायरेक्शन में बनी फिल्म की कहानी गांव की सादगी, एक अजीब परिवार, मुंबई नगरिया और बॉलीवुड से होकर गुजरती है. फिल्म में कमजोर डायलॉग उत्साह ठंडा कर देते है. निर्देशक के पास नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे कलाकार और कैमियो के लिए अमिताभ बच्चन जैसा नाम था फिर भी फिल्म उम्मीदों पर खरी नही उतरती. फिल्म के कलाकार इसके सबसे मजबूत पक्ष है. खासकर नवाजुद्दीन सिद्दीकी उन्होने पूरी फिल्म अपने कंधो पर उठा रखी है,इला अरूण और रघुबीर यादव ने अपने किरदार को पूरी सच्चाई से निभाया है. वहीं, अमिताभ बच्चन का कैमियो आपको खुश कर देता है.

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