Navratri 2020: नवरात्रि के चौथे दिन इस मंत्र के साथ करें देवी कुष्मांडा की पूजा, इस फूल को चढ़ाने से दूर होगी सारी विपत्ति

Navratri 2020: नवरात्रि के चौथे दिन इस मंत्र के साथ करें देवी कुष्मांडा की पूजा, इस फूल को चढ़ाने से दूर होगी सारी विपत्ति

नई दिल्ली. कल शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन है. नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्मांडा की उपासना की जाती है. देवी कुष्मांडा की श्रद्धा से पूजा करने से शारीरिक और मानसिक विकार दूर होते हैं. मां कुष्मांडा की पूजा की विधि भी वैसी ही है जैसे शक्ति के अन्य रूपों की पूजा की जाती है. देवी को रात की रानी के फूल बेहद पसंद हैं.

ये नवदुर्गा का चौथा स्वरुप हैं. अपनी हल्की हंसी से ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इनका नाम कुष्मांडा पड़ा. ये अनाहत चक्र को नियंत्रित करती हैं. मां की आठ भुजाएं हैं इसलिए इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहते हैं. ज्योतिष में मां कुष्मांडा का संबंध बुध ग्रह से है.
 
देवी की पूजा उनके महामंत्र के बिना बिल्कुल न करें. वहीं, मां कुष्मांडा के बीजमंत्र का भी जाप कर सकते हैं. पूजा की विधि शुरू करने से पहले देवी को रात की रानी के फूल चढ़ाएं. देवी कुष्मांडा की पूरी पूजा विधि, महामंत्र, बीजमंत्र और सूर्य को प्रसन्न करने वाले उपाय इस प्रकार जानिए.
 
देवी कुष्मांडा की पूजा विधि 
 
हरे कपड़े पहनकर मां कुष्मांडा का पूजन करें. पूजन के दौरान मां को हरी इलाइची, सौंफ और कुम्हड़ा अर्पित करें. इसके बाद उनके मुख्य मंत्र ‘ऊं कुष्मांडा देव्यै नमः’ का 108 बार जाप करें. चाहें तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं.
 
देवी कुष्मांडा का मंत्र 
 
 
या देवी सर्वभूतेषू मां कुष्मांडा रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
मां कुष्मांडा का विशेष प्रसाद 
 
 
 
 

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