Nancy pelosi Meet Dalai Lama : अमेरिका ने चीन के खिलाफ साजिश रचना शुरू कर दिया है। चीन को अमेरिका ताइवान के बाद अब तिब्बत मामले में घेरने वाली है। ऐसे में अमेरिकी कांग्रेस का एक प्रतिनिधमंडल भारत आया है, जिसमें नैंसी पेलोसी के साथ साथ 6 सदस्यीय शामिल है। दरअसल अमेरिकी सदन की पूर्व स्पीकर नैंसी पेलोसी धर्मशाला में दलाई लामा से मिलने के लिए हिमाचल के कांगड़ा में पहुची हुई है। इस बैठक का मकसद उस बिल को पास कराना है, जिसके बाद तिब्बत के साथ चल रहे चीनी विवाद का निपटारा हो सके।
बता दें कि यहां हवाई अड्डे से बाहर निकलते हुए पेलोसी ने कहा,”भारत बहुत रोमांचक है।”पेलोसी के अलावा हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के सदस्य ग्रेगरी डब्ल्य मीक्स, हाउस रूल्स कमेटी के सदस्य जिम मैकगवर्न, इंडो-पैसिफिक पर हाउस फॉरेन अफेयर्स सब-कमेटी के सदस्य अमी बेरा और प्रतिनिधि मैरिएनेट मिलर-मीक्स, निकोल मैलियोटाकिस आध्यात्मिक नेता दलाई लामा से मुलाकात करेंगे।
चीन को लगी मिर्ची
गौरतलब है कि तिब्बत में चीनी शासन के खिलाफ़ विद्रोह शुरू कर दलाई लामा 1959 में भारत आए थे। ऐसे में जब भी कोई अन्य देश का अधिकारी उनसे संपर्क करता है तो चीन को मिर्ची लग जाते हैं। इस महीने की शुरुआत में ही चीन के वाशिंगटन दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंगयु ने कहा था कि बीजिंग चीन विरोधी अलगाववादी गतिविधियों का विरोध करता है और किसी भी देश के अधिकारियों द्वारा दलाई लामा से संपर्क का भी विरोध करता है।
नैंसी पेलोसी है शक्तिशाली नेता
वहीं अमेरिकी प्रतिनिधिमण्डल में शामिल नैंसी पेलोसी वही राजनेता हैं, जिनके ताइवान जाने का विरोध करते हुए चीन ने जंग छेड़ दी थी। उस समय अमेरिका और चीन के बीच तनाव काफी ज्यादा बढ़ गया था। ताइवान के बाद अब नैंसी पलोसी दलाई लामा से मिलने भारत आई है। ज़ाहिर सी बात है कि चीन इस बात से चिढ़ गया है। इसके साथ ही पेलोसी पहली बार 1987 में सदन के लिए चुनी गई थी। उन्हें अमेरिकी राजनीति में सबसे शक्तिशाली महिलाओं में से एक माना जाता है।
कौन है नैंसी पेलोसी
नैंसी के पिता थॉमस डी. एलेसेंड्रो जूनियर ने बाल्टीमोर के मेयर के रूप में काम किया था। उन्होंने पांच बार कांग्रेस में शहर का प्रतिनिधित्व किया। नैंसी के भाई थॉमस डी.एलेसेंड्रो-3 ने भी बाल्टीमोर के मेयर के तौर पर काम किया। पेलोसी अक्सर अपने पिता के चुनावी अभियानों में भाग लेती थी। ऐसे ही वो राजनिती में आगे बढ़ती चली गई। इसके बाद साल 1987 में वो पहली बार सदन के लिए चुनी गई थी। उन्होंने अपना कार्यकाल शक्तिशाली महिलाओं के रूप में पूरा किया है। इसके बाद वो पहली महिला स्पीकर बनी थी, जिसने इतिहास रच दिया था।
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