MOHALI MMS CASE : अश्लील वीडियो Record करने पर हो सकती है इतने सालों की सजा, जानें क्या है कानून

MOHALI MMS CASE : अश्लील वीडियो Record करने पर हो सकती है इतने सालों की सजा, जानें क्या है कानून

नई दिल्ली:भारत की ब्यूटीफुल सिटी कही जाने वाला चंडीगढ़ के चर्चे देश के कोने-कोने में हो रहा है। दरअसल चंडीगढ यूनिवर्सिटी में कुछ छात्राओं के अश्लील वीडियो वायरल होने की खबर बीते कुछ दिनों से चल रही है। कहा जा रहा है कि चंडीगढ यूनिवर्सिटी के होस्टल में एक छात्रा ने कुछ छात्राओं के अश्लील वीडियो बनाकर अपने बॉयफैंड को भेज दिए जिसके बाद बॉयफैंड ने उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिए। हालांकि छात्रा समेत तीन लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया गया है। लेकिन क्या आपको अश्लील वीडियो  बनने और उसे सोशल मीडिया पर शेयर करने पर भारत में काफी सख्त कानून बनाए गए है। आज आपको उसी कानून के बारे में बताने जा रहे है।

 दरअसल अगर कोई व्यक्ति किसी का अश्लील वीडियो रिकॉर्ड करता है तो भारतीय आईटी एक्ट की धारा 66ई के तहत उसे दोषी सिद्ध किया जा सकता है। इसके लिए तीन साल की सजा और 5लाख रुपये तक के जुर्माना का प्रावधान है। हालांकि इसमें दोषी को बेल मिल सकती है। वहीं अगर मामला अंतरंग वीडियो (जिसमें प्राइवेट पार्ट दिख रहे हों या संभोग की स्थिति हो) का है तो सजा की मियाद 5साल और हो सकती है।

वहीं जिस शख्स का वीडियो बनाया गया है उसकी उम्र 18साल से कम है तो मामला चाइल्ड पोर्नोग्राफी के दायरे में आ जाता है। इसमें 10साल तक की सजा का प्रावधान है। वहीं किसी भी तरह की अश्लील सामग्री आगे फॉरवर्ड करना कानूनन अपराध है। फिर चाहे उसे कंप्यूटर के जरिये फॉरवर्ड किया गया हो या मोबाइल से। इस मामले में आईटी एक्ट की धारा 67ए के तहत पहली बार दोषसिद्धि पर तीन साल तक की जेल और पांच लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। दूसरी बार या बार-बार ऐसी हरकत करने पर पांच वर्ष जेल और दस लाख तक जुर्माना हो सकता है।

इसके अलावा कुछ लोग अपने मोबाइल पर अंतरंग वीडियो बनाते हैं और इसे पर्सनल मामला समझते हैं। लेकिन आईटी कानून के अनुसार, इसे भी गैरकानूनी कृत्य करार देते हैं। कोई भी शख्स अगर डिवाइस पर अपनी अश्लील हरकत रिकॉर्ड करता है तो वो चाहे उसे आगे फॉरवर्ड करे या ना करे आईटी एक्ट की धारा 66ई का दोषी होगा।साथ ही अश्लील सामग्री किसी संस्थान के नेटवर्क से फॉरवर्ड की जाती है तो उस पर भी कार्रवाई हो सकती है। मिसाल के तौर पर अगर चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी मामले में ये बात सामने आती है कि वीडियो भेजने में संस्थान का इंटरनेट इस्तेमाल हुआ है तो संस्थान के अधिकारियों पर भी शिकंजा कस सकता है।

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