Lockdown Update in India: लाॅकडाउन के बीच सुस्त हुई अर्थव्यवस्था, 4.88 लाख करोड़ का कर्ज लेगी सरकार

Lockdown Update in India: लाॅकडाउन के बीच सुस्त हुई अर्थव्यवस्था, 4.88 लाख करोड़ का कर्ज लेगी सरकार

नई दिल्ली: इस समय कोरोना वायरस की वजह से दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं का बुरा हाल है. तमाम विकसित और विकासशील देश फिलहाल इस महामारी से निपटने के उपायों में लगे हैं. भारत सरकार ने इस बीच लाॅकडाउन से होने वाले घाटे के बावजूद आमजन के लिए बड़ी राहत दी और लगातार बड़े फैसले लिए. इस बीच सरकार को जो घाटा हुआ उसके बाद उसने अब कर्ज लेने का मन बनाया है ताकि आगे चलकर सरकार के सामने किसी प्रकार की समस्या न उत्पन्न न हो. बताया जा रहा है कि सरकार अगले छह माह में 4.88 लाख करोड़ का कर्ज लेने की तैयारी कर रही है.
 
 आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवर्ती ने इस सूचना की पुष्टि की है कि सरकार इतना भारी कर्ज लेने जा रही है. दरअसल देश के कई सेक्टर ठप हो जाने से सरकार की कमाई के तमाम जरिये बंद हैं और उसे लगातार घाटा हो रहा है. क्योंकि सरकार ने कोरोना के खतरे से निपटने के लिए आमजन के लिए राहत पैकेज के साथ ही बैंकों के कर्ज और ईएमआई में भी अतिरिक्त समय देने का निर्णय लिया. मजदूरों और किसानों के खातों में पैसे डाले गए.
 
बता दें, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के लिए बजट में बाजार से 7.8 लाख करोड़ रुपये का उधार लिए जाने का अनुमान लगाया है. मतलब ये है कि इस रकम का एक करीब 60 फीसदी हिस्सा शुरुआती 6 महीनों में ही ले लिया जाएगा. वित्त मंत्री ने 2020-21 का आम बजट पेश करते हुए था कि नए वित्त वर्ष में बाजार से उठाई जाने वाली राशि का एक बड़ा हिस्सा पूंजी व्यय में खर्च होने का अनुमान है. सरकार ने पूंजी खर्च में 21 प्रतिशत की वृद्धि का प्रावधान किया है. 
 
बता दें कि सरकार अपने राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिये बाजार से धन जुटाती है. इसके लिए मियादी बांड और ट्रेजरी बिल जारी किए जाते हैं. वर्ष 2020- 21 के बजट में सरकार का राजकोषीय घाटा 7.96 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है जो कि सकल घरेलू उत्पाद का 3.5 प्रतिशत होगा. कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से देश की इकोनॉमी का बुरा हाल होने की आशंका के चलते ही सरकार ने ऐसा निर्णय लिया है. बीते दिनों एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि लॉकडाउन की वजह से इकोनॉमी को 120 अरब डॉलर यानी करीब नौ लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है. यह नुकसान भारत के सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी के चार प्रतिशत के बराबर है. 
 
 
 
 

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