Israel Hamas Conflict: सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर केंद्र को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वह गाजा में युद्ध लड़ रहे इजरायल को हथियार और अन्य सैन्य उपकरण निर्यात करने वाली भारतीय कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दे और नए लाइसेंस न दे। याचिका में कहा गया, 'लाइसेंसिंग अधिकारियों द्वारा इसकी मंजूरी पर विचार किया जा रहा है। यह आवेदन डीजीएफटी के विशेष रसायन, जीव, सामग्री, उपकरण और प्रौद्योगिकी (एससीओएमईटी) प्रभाग को भेजा गया है। ये दोहरे उपयोग की श्रेणी में आने वाले हथियारों और युद्ध सामग्री के निर्यात के लिए लाइसेंस जारी करता है।'
याचिका में क्या कहा गया है?
याचिका में कहा गया है कि एक निजी भारतीय कंपनी, प्रीमियर एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (पीईएल), कम से कम 2021से डीजीएफटी से एससीओएमईटी लाइसेंस के तहत इजरायल को विस्फोटक और संबद्ध सामान का निर्यात कर रही है। इसमें कहा गया है कि पिछले साल गाजा पर इजराइल का युद्ध शुरू होने के बाद से प्रीमियर एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड को इन वस्तुओं के निर्यात की कम से कम तीन बार अनुमति दी गई।जनहित याचिका में कहा गया, 'हैदराबाद स्थित संयुक्त उद्यम, अडाणी-एलबिट एडवांस्ड सिस्टम्स इंडिया लिमिटेड ने 2019 और 2023 के बीच इजरायली सेना को 20 से अधिक हर्मीस 900 यूएवी/सैन्य ड्रोन के लिए विशेष रूप से सैन्य उपयोग के लिए भारतीय निर्मित एयरो-संरचनाओं और उप-प्रणालियों के रूप में हथियारों का निर्माण और निर्यात किया है। कंपनी में अडाणी समूह की हिस्सेदारी है।
भारतीय कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने की मांग
याचिका में कहा गया कि भारत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों से बंधा हुआ है, जो भारत को युद्ध अपराधों के दोषी राज्यों को सैन्य हथियार नहीं देने के लिए बाध्य करते हैं। क्योंकि किसी भी निर्यात का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के गंभीर उल्लंघन में किया जा सकता है।याचिका में कहा गया, 'इजरायल को हथियारों और अन्य सैन्य उपकरणों के निर्यात के लिए भारत में विभिन्न कंपनियों को दिए गए किसी भी मौजूदा लाइसेंस को रद्द करें और नए लाइसेंस की अनुमति देने पर रोक लगाएं। ये भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के साथ 51(सी) के तहत अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत भारत के दायित्वों का उल्लंघन है।
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