High Court Reprimanded Punjab Police: लॉरेंस बिश्नोई द्वारा जेल से दिए गए इंटरव्यू मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में बुधवार यानी 30 अक्टूबर को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस को जमकर फटकार लगाई। हाइकोर्ट ने कहा कि एसआईटी ने जो रिपोर्ट दायर की है। वह पुलिस और गैंगस्टर के बीच मिलीभगत होने की संदेह पैदा करती है। साथ ही आदलत ने इस मामले में नए सिरे से जांच करने के आदेश दिए हैं।
पंजाब हाईकोर्ट ने आगे कहा कि पुलिस ने लॉरेंस को इलेक्ट्रॉनिक उपकरण इस्तेमाल करने की अनुमति दी और स्टूडियो जैसी सुविधा दिलाई थी। इस तरह की घटना अपराध को महिमामंडित करती है।
पंजाब सरकार की भी हुई खिंचाई
इस मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार की भी खिंचाई की। कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। बता दें कि इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अनुपिंदर गोयल और लपिता बनर्जी की अगुवाई वाली बेंच कर रही है। सुनवाई के दौरान न्यायामूर्ति ने कहा कि पुलिस अधिकारी और अपराधी के बीच रिश्वत के लेन-देन होने के संकेत मिलते हैं। इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज होना चाहिए।
7 पुलिसकर्मी पर गिरी गाज
बता दें कि, पंजाब सरकार ने जेल से इंटरव्यू मामले में 7 पुलिसकर्मी को निलंबित कर दिया है। इस मामले पर भी हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि हमने पिछली बार सुनवाई के दौरान आदेश दिया था कि, निचले रैंक के अधिकारियों को बलि का बकरा नहीं बनाया जाना चाहिए। साथ ही अदालत ने पूछा कि "डीजीपी ने क्यों कहा कि पंजाब की जेल में कोई इंटरव्यू नहीं हुआ है"। कोर्ट ने आगे कहा कि इस मामले की जांच कर रही एसआईटी ने स्वीकार किया कि एक इंटरव्यू पंजाब की जेल से हुआ है, फिर डीजीपी ने पंजाब की जेल में इंटरव्यू नहीं होने की बात कैसे कही? इसमें शामिल अधिकारियों पर आपराधिक साजिश अधिनियम की धारा क्यों नहीं लगाई गई?
Leave a comment