कांग्रेस, कमेटी और किचकिच !

कांग्रेस, कमेटी और किचकिच !

आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दल अपनी तैयारी में जुटे हैं..बीजेपी लगातार जनता क बीच अपनी मौजूदगी दर्ज करवा रही है।

तो  इनेलो से अलग होकर बनी जेजेपी बसपा के साथ गठबंधन के सहारे सत्ता तक पहुंचने का सफर तय करना चाहती है। इनेलो भी कोशिश में जुटी है। लेकिन इन सबके बी कांग्रेस कहीं गुमसी नजर आ रही है। पार्टी में बिखराव साफ दिखाई देने लगा है। 18 अगस्त को भूपेंद्र हुड्डा रोहतक में महापरिवर्तन रैली कर कांग्रेस को बागी तेवर दिखाते हैं, वहीं  पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर हुड्डा पर तंज़ कसते नजर आते हैं।

हुड्डा की महापरिवर्तन रैली में ये बात साफ तौर पर देखी और महसूस की गई कि हुड्डा किस कदर अपने अनदेखी और अनसुनी किए जाने से नाराज है। कैसे वो एक झटके में कह देते हैं कि, अब कांग्रेस पहले वाली कांग्रेस नहीं रही, वो भटक गई है,और वो सभी पाबंदियों से मुक्‍त होकर अपनी बात कहने आए हैं। क्यों वो अपने परिवार की चार पीढि़यों के कांग्रेस से जुड़ाव और योगदान की बात करते हुए कह जाते हैं कि वो खुद को अतीत से मुक्‍त करते हैं,क्यों वो कहते हैं कि रैली में मौजूद उनके समर्थक नेताओं और जनता न उन्हें कोई भी फैसला लेने का अधिकार दिया है, और उसी अधिकार के तहत वो एक कमेटी का गठन करने की घोषणा कर देते हैं।

रैली में शामिल करण सिंह दलाल कहते हैं कि कांग्रेस नेतृत्‍व अगर हरियाणा में पार्टी की कमान हुड्डा को नहीं दे तो अलग राह अपनाई जाए, विधानसभा के पूर्व स्‍पीकर कुलदीप शर्मा भी उनके सुर में सुर मिलाकर पूछते हैं कि कांग्रेस कहां है, कमरों में बैठे कुछ नेता कांग्रेस की दशा नहीं बदल सकते, और अगर कांग्रेस की हालत सुधारनी है तो भूपेंद्र हुड्डा को कमान देनी चाहिए, दीपेंद्र हुड्डा हरियाणा की राजनीति को दोराहे पर बताते हैं। हुड्डा तो कांग्रेस को बागी तेवर दिखा ही चुके हैं। लेकिन जिस तरह अशोक तंवर ने अपने बयान के जरिए हुड्डा पर तंज़ कसा है, वो हुड्डा के जले पर नमक छिड़कने जैसा काम कर सकता है। तो क्या बात और बिगड़ेगी, बिगड़ेगी तो कहां तक जाएगी?

कांग्रेस की ताल बेताल होती जा रही है। कभी पार्टी के कर्मठ सिपाहियों में शुमार होने वाले उसके भरोसेमंद सदस्य ही, अब उसे तेवर दिखाने लगे हैं। कांग्रेस में वर्चस्व को लेकर शुरू हुई जंग अब उसे बिखराव और टूट की कगार तक ले आई है। वर्चस्व की लड़ाई को लेकर कांग्रेस उस कुरुक्षेत्र में बदल गई है जहां अपने ही अपनों के खिलाफ खड़े हैं,और पार्टी नेताओं में चल रही आपसी खींचतान कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचा रही है।

 

 

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