क्या आपको पता है इजराइल और फिलिस्तीन के बीच क्यों हो रहा है ये खूनी संघर्ष, नहीं पता तो इस खबर को जरूर पढ़े

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नई दिल्ली: इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जंग जारी है. पिछले कुछ हफ्तों से दोनों देशो के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. हमास की ओर से लगातार इजरायल पर रॉकेट दागे जा रहे हैं, हमले के जवाब में इजरायल की ओर से भी हवाई हमला किया जा रहा है. दोनों तरफ से लगातार हमले किए जा रहे है. यह सभी हमले फिलिस्तीन के गाजा पट्टी इलाके में हो रहा है. इजराइल और फिलिस्तीन के बीच इस तनाव का कारण सालों पुराना है. 1948 में इजराइल की आजादी के बाद से ही अरब देश और इजराइल के बीच कई बार युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए है.

आइये जानते है क्या है पूरे विवाद का कारण

इन दोनो देशों के बीच यह टकराव कम से कम 100 साल पहले से चला आ रहा है. इस समय जहां इजराइल है, वहां कभी तुर्कीयों का शासन हुआ करता था. जिसे ओटोमान साम्राज्य कहा जाता था. 14वीं शताब्दी तक पूरे मिडिल ईस्ट पर ओटोमान साम्राज्य का कब्जा था, पर 19वीं सदी तक ओटोमान साम्राज्य धीरे-धीरे कमजोर होने लगा था. 

1914 में जब पहला विश्व युद्ध शुरू हुआ. उस समय तुर्की ने मित्र राष्ट्रों के खिलाफ वाले देशों का साथ दिया. मित्र राष्ट्रों में ब्रिटेन भी शामिल था. जिसके कारण तुर्की और ब्रिटेन एक दूसरे के आमने-सामने आ गए. उस समय ब्रिटिश साम्राज्य अपने ऊंचाईयों पर था. दुनिया के अधिकतर देशों पर उसका कब्जा था. जिसके कारण  ब्रिटेन ने युद्ध जीता और ओटोमान साम्राज्य यानी आज के फिलिस्तीन पर ब्रिटेन का कब्जा हो गया.

1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त हुआ. इस युद्ध में ब्रिटेन को काफी नुकसान हुआ और अब वो पहले जैसी शक्ति नहीं रह पाई. ये वो समय था जब जियोनिज्म की भावना चरम पर थी. जियोनिज्म एक राजनीतिक विचारधारा थी जिसकी स्थापना का उद्देश्य एक अलग और स्वतंत्र यहूदी राज्य की स्थापना करना था. इस विचारधारा के कारण दुनियाभर से यहूदी फिलिस्तीन में आने लगे.

इस विचारधारा में यहूदी एक बार फिर से अपनी पवित्र धरती पर जाना चाहते हैं, जहां से यहूदी धर्म की शुरुआत हुई थी, बता दे कि फिलिस्तीन से ही तीन हजार साल पहले में यहूदी धर्म की शुरूआत हुई थी. इसका एक और कारण था, पूरे यूरोप में यहूदियों पर अत्याचार हो रहा था, इनके धर्म को कई देशों में रोक लगा दिया गया था. इन अत्याचारों के चलते यहूदियों ने अपनी धरती पर वापस जाने की शुरुआत की.

द्वितीय विश्वयुद्ध के ब्रिटेन के ऊपर दूसरे देशों ने यहूदियों के पुनर्वास के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया, धीरे-धीरे यह इसके विवाद का रूप ले लिया. ब्रिटेन इस समय काफी कमजोर हो गया था. जिस कारण वह इससे अलग होने का फैसला लिया और यह पूरा विवाद यूनाइटेड नेशन को शौप दिया. यूनाइटेड नेशन की 1945 में ही स्थापना हुई थी.

यूएन ने 29 नवंबर 1947 को फिलिस्तीन को दो हिस्सों में बांट दिया. दो देशों में एक अरब राज्य और दूसरा हिस्सा बना इजराइल बना. यरुशलम जो कि मुस्लिम, ईसाई और यहूदी तीनों धर्म मानने वाले लोगों के लिए आस्था का केंद्र है, इसको यूनाइटेड नेशन ने अंतरराष्ट्रीय सरकार के कब्जे में रखा. अरब देशों ने यूएन के इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया. उनका उनके अनुसार आबादी के हिसाब से उन्हें कम जमीन मिली.

बता दे कि यरुशलम जहां तीन धर्म मुस्लिम, ईसाई और यहूदी की आस्था जुड़ी हुई है.  वही यरुशलम तीनों धर्मों के पवित्र स्थलों के साथ-साथ विवाद की वजह भी है यहां मुस्लिम धर्म का तीसरा पवित्र स्थान अल-अक्सा मस्जिद है, मुस्लिमों का मान्यता के अनुसार पैगंबर मोहम्मद मक्का से यहीं आए थे मक्का और मदीना के बाद मुस्लिम इसे तीसरी सबसे पवित्र स्थान मानते हैं

वही ईसाइयों का पवित्र 'द चर्च ऑफ द होली सेपल्कर' भी यरुशलम में ही स्थित है. ईसाईयत मान्यता के अनुसार ईसा मसीह को इसी जगह पर सूली पर चढ़ाया गया था और यही पर ईसा फिर से जीवित हुए थे. यहीं पर यहूदियों की सबसे पवित्र जगह 'होली ऑफ होलीज' है. यहूदी मानते हैं कि यहीं पर इब्राहिम ने अपने बेटे इसाक की कुर्बानी दी थी. यहूदी धर्म के अनुसार यही से विश्व का निर्माण हुआ था.

14 मई 1948 को इज़राइल ने खुद को एक आज़ाद देश घोषित कर दिया. और इस तरह दुनिया में पहली बार एक यहूदी देश इजराइल का जन्म हुआ. और इसके साथ ही ये विवाद भी शुरू हुआ. अमेरिका ने देश के रूप में इजराइल को मान्यता दे दी. इसके बाद अरब देशों और इजराइल में कई युद्ध हुए. इजराइल ने हर युद्ध में अरब देशों को मात दी.

इजराइल और फ़िलिस्तीन के बीच यरूशलम को लेकर विवाद चल रहा है. क्योंकि दोनो ही यरूशलम को अपनी राजधानी बनाना चाहते थे. जिस कारण संयुक्त राष्ट्र ने यरूशलम का आठ फ़ीसदी हिस्सा अपने कंट्रोल में रख लिया. जबकि 48 फ़ीसदी ज़मीन का टुकड़ा फिलिस्तीन और 44 फ़ीसदी टुकड़ा इजराइल के हिस्से में रह गया. मगर ज़मीन की लड़ाई इसके बाद भी चल रही है.

बता दे कि अब तक इजराइल और फ़िलिस्तीन के बीच चार बार युद्ध हो चुका है. और हर बार हर युद्ध के साथ ही लगातार इजराइल फ़िलिस्तीन की ज़मीन पर क़ब्ज़ा करता गया. हर युद्ध के साथ ही कि फिलिस्तीन पहले 55 फ़ीसदी और फिर 48 फ़ीसदी से सिमटते हुए 22 फ़ीसदी और अब 12 फ़ीसदी ज़मीन के टुकड़े पर ही सिमट कर रह गया है.

इजराइल ने 1967 के युद्ध में पूर्वी यरुशलम पर भी कब्जा कर लिया. इसी के बाद से इजराइल इस पूरी जगह को अपनी राजधानी मानता है. हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इजराइल की इस बात को नहीं मानता. जबकि फिलिस्तीनी लोगों का कहना है कि फिलिस्तीन के एक स्वतंत्र राष्ट्र बनने के बाद ये उनकी राजधानी होगी.

उस पूरे जमीन के हिस्से पर इजराइस येरूशलम को छोड़ कर 80 फिसदी हिस्से पर कब्जा कर चुका है. फ़िलिस्तीन के पास अब केवल गाजा और दूसरा वेस्ट बैंक रह गया है. वेस्ट बैंक ज्यादातर शांत रहता है. क्योकि यह इजराइल से दूर है. वही गाजा ज्यादातर अशांत रहता है. क्योंकि गाजा पर एक तरह से हमास का कंट्रोल है और मौजूदा तनाव इसी गाजा और इज़राइल के बीच है.

 

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