भारतीय रुपये की फिर हुई पिटाई, एक डॉलर 81 रुपये के पार

भारतीय रुपये की फिर हुई पिटाई, एक डॉलर 81 रुपये के पार

नई दिल्ली: भारतीय रुपया पिछले कुछ दिनों से नीचे की ओर जा रहा है और बुधवार को यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 81 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया  है। इससे विश्लेषकों के बीच इस बात पर बहस छिड़ गई है कि क्या घरेलू मुद्रा में और गिरावट देखी जा सकती है।रुपये ने सबसे पहले इस साल जुलाई महीने में पहली बार 80 के स्तर से नीचे को छुआ था। हालांकि तब कारोबार के दौरान रिजर्व बैंक के दखल के बाद रुपया वापसी करने में सफल रहा था।

आपको बता दे कि,शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में पहली बार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 44 पैसे टूट गया और 81 अंक से नीचे फिसल है। आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल अब तक रुपया 7 फीसदी से ज्यादा कमजोर हो चुका है। रुपये की वैल्यू अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगातार कम होती गई है। अभी प्रमुख मुद्राओं के बास्केट में डॉलर के लगातार मजबूत होने से भी रुपये की स्थिति कमजोर हुई है। करीब दो दशक बाद अमेरिकी डॉलर के मुकाबले यूरो की वैल्यू कम हुई है, जबकि यूरो (Euro) लगातार अमेरिकी डॉलर से ऊपर रहता आया है। भारतीय रुपये की बात करें तो दिसंबर 2014 से अब तक यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 25 फीसदी से ज्यादा कमजोर हो चुका है। रुपया साल भर पहले अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 74.54 के स्तर पर था।

इस वजह से हो रहा है रुपये का ये हाल

अमेरिका में महंगाई 41 सालों के उच्च स्तर पर है। इसे काबू करने के लिए फेडरल रिजर्व तेजी से ब्याज दरें बढ़ा रहा है। अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने का फायदा अमेरिकी डॉलर को मिल रहा है। अमेरिका आधिकारिक रूप से मंदी की चपेट में आ चुका है। मंदी के डर से विदेशी निवेशक उभरते बाजारों से पैसे निकाल रहे हैं और सुरक्षित इन्वेस्टमेंट के तौर पर डॉलर खरीद रहे हैं। इस परिघटना ने अमेरिकी डॉलर को अप्रत्याशित तरीके से मजबूत किया है। इसी कारण कई दशक बाद पहली बार अमेरिकी डॉलर की वैल्यू यूरो से भी ज्यादा हो गई है। अभी अमेरिकी डॉलर करीब दो दशक के सबसे मजबूत स्तर पर पहुंच चुका है।

आम लोगों पर क्या होगा असर?

किसी भी देश की करेंसी के कमजोर होने के कई इफेक्ट होते हैं। इसे उदाहरणों से समझते हैं कि कमजोर होते रुपये से आपके ऊपर क्या असर होने वाला है? अगर आपका कोई बच्चा किसी अन्य देश में पढ़ाई कर रहा है और आप उसे भारत से पैसे भेज रहे हैं, ऐसी स्थिति में आपको नुकसान होने वाला है। चूंकि अमेरिकी डॉलर को ग्लोबल करेंसी का दर्जा प्राप्त है और यह लगातार मजबूत हो रहा है, ऐसे में आप जो रुपये में भेजेंगे, वह डॉलर में कंवर्ट होने पर कम वैल्यू का रह जाएगा। इस कारण आपको अब पहले की तुलना में अधिक रुपये भेजने होंगे। वहीं अगर आपका कोई परिजन या रिश्तेदार किसी अन्य देश से आपको पैसे भेजता है, तो आपको फायदा होने वाला है। भेजी गई वही पुरानी रकम में अब आपको अब ज्यादा रुपये मिलेंगे। अगर आप कारोबार करते हैं तो असर इस बात पर निर्भर करेगा कि आपका बिजनेस इम्पोर्ट बेस्ड है या एक्सपोर्ट बेस्ड। एक्सपोर्ट करने वालों को कमजोर रुपये से फायदा होने वाला है, जबकि इम्पोर्ट करने वालों को अब पुरानी मात्रा में ही माल मंगाने के लिए ज्यादा रुपये भरने होंगे।

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