India's GDP In 2025: केंद्र सरकार की ओर से मंगलवार यानी 7 जनवरी को जारी किए गए जीडीपी के अग्रिम अनुमानों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी 6.4% की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो चार साल का निचला स्तर है।
खास बात ये है कि यह अनुमान मार्च 2025 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के हालिया अनुमान 6.6 फीसदी से भी कम है लेकिन, इस बीच कोरोना काल की तरह ही एक बार फिर एग्रीकल्चर सेक्टर को सपोर्ट करता दिखेगा और कृषि क्षेत्र की ग्रोथ रेट में जोरदार बढ़ोतरी की बात कही गई है।
कृषि क्षेत्र में जबर्दस्त बढ़ोतरी का अनुमान
राष्ट्रीय सांख्यकीय कार्यालय द्वारा के अग्रिम अनुमान को साझा करने के साथ ही कहा कि जहां एक ओर तमाम सेक्टर्स में सुस्ती देखने को मिल सकती है, तो वहीं कृषि क्षेत्र और इससे जुड़ी अन्य गतिविधियां एक बार फिर जीडीपी ग्रोथ में अहम योगदान निभाती करेंगी। कृषि क्षेत्र प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद टिका हुआ है और वित्त वर्ष 2024-25 में उम्मीद की किरण दिखा रहा है। इस सेक्टर में जोरदार ग्रोथ का अनुमान जताया गया है।
3.8 फीसदी तक रह सकती है ग्रोथ रेट
सरकारी आंकड़ों पर नजर डाले तो मजबूत मानसून, मजबूत खरीफ फसलों के उत्पादन से इस सेक्टर में ग्रोथ को बढ़ावा मिलने का अनुमान है और एग्रीकल्चर ग्रॉस वैल्यू एडेड में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। विशेषज्ञों ने दावा किया है कि कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए राहत भरा हो सकता है और इस सेक्टर में वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में बढ़कर 3.8 फीसदी पहुंच सकती है, जो कि इससे पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में 1.4 फीसदी रही थी।
मजबूत मानसून का असर देखने को मिलेगा
वित्त वर्ष 25 के लिए जीडीपी के प्रथम अग्रिम अनुमान के अनुसार, मौजूदा कीमतों पर वित्त वर्ष 2024 में 5.4 फीसदी की तुलना में 10 फीसदी बेहतर होने की उम्मीद है। दरअसल, इस ग्रोथ का अनुमान सरकार की ओर से मजबूत मानसून के बीच खरीफ की अच्छी फसल और रबी बुवाई को बढ़ावा मिलने के चलते बताया गया है। पिछले वित्त वर्ष मानसून के कमजोर रहने के चलते कृषि क्षेत्र की ग्रोथ रेट में गिरावट देखी गई थी।
इन कारणों से अच्छी वृद्धि का अनुमान
बता दें कि, बेहतर मानसून और अनाजों की अनुकूल कीमतों ने भी रबी की बुवाई को बढ़ावा देने का काम किया है। पिछले साल बीते सितंबर महीने में मानसून करीब 8 फीसदी ज्यादा बारिश के साथ खत्म हुआ था, जो बीते 3 सालों में सबसे ज्यादा है। जून-सितंबर तिमाही में अच्छी बारिश के चलते खरीफ चावल उत्पादन (जुलाई से जून) करीब 120 मिलियन टन होने का अनुमान जताया गया है। जो इससे पिछले सीजट से 5.9 फीसदी ज्यादा था।
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