मुर्शिदाबाद हिंसा की स्क्रिप्ट पहले से थी तैयार? ISI और बांग्लादेशी आतंकी समूहों की भूमिका पर उठ रहे सवाल

मुर्शिदाबाद हिंसा की स्क्रिप्ट पहले से थी तैयार? ISI और बांग्लादेशी आतंकी समूहों की भूमिका पर उठ रहे सवाल

Murshidabad Violence: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हाल ही में हुई हिंसा को लेकर साजिश की आशंका जताई जा रही है।राज्य और केंद्र की खुफिया एजेंसियों को शुरुआती जांच में कुछ अहम संकेत मिले हैं।रिपोर्ट के मुताबिक, वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025के विरोध के नाम पर हिंसा जानबूझकर भड़काई गई।

आरोप है कि कुछ कट्टरपंथी तत्व छात्रों के वेश में सीमापार से भारत में घुसे।इन लोगों ने विरोध प्रदर्शन को हिंसक रूप दे दिया।

बांग्लादेश की राजनीतिक हलचल का असर बंगाल में

खुफिया रिपोर्ट बताती है कि बांग्लादेश में हसीना सरकार के पतन के बाद हालात बिगड़े हैं।वहां हिंसा और पुलिस पर हमले जैसी घटनाएं बढ़ीं।इनका असर बंगाल के समशेरगंज, सुती, रघुनाथगंज और धुलियान में भी देखने को मिला।इन इलाकों में आईएसआई एजेंटों की गतिविधियां बढ़ गई हैं।देशविरोधी ताकतें युवाओं को हिंसा के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में ट्रेनिंग दे रही हैं।

अवैध मदरसों में दी गई उकसाने वाली ट्रेनिंग

सूत्रों के अनुसार, हिंसा में शामिल ज्यादातर युवक 18साल से कम उम्र के थे।इन्हें बांग्लादेश के कुछ अवैध या बंद मदरसों में ट्रेनिंग दी गई।वहां इन्हें बताया गया कि वक्फ कानून अल्पसंख्यकों के खिलाफ है।इस सोच के जरिए उन्हें भड़काया गया।इसके बाद महीनों तक तैयारी कर इन्हें चोरी-छिपे भारत में भेजा गया।मुर्शिदाबाद की सीमा के पास इन्हें पनाह दी गई।

पूर्व योजना के तहत हुआ हमला, पुलिस को बनाया निशाना

इन युवाओं ने हिंसा फैलाने के लिए खास इलाकों को चुना।जैसे फरक्का, लालगोला, समशेरगंज और धुलियान।खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, इनकी योजना थी कि पुलिस को चारों ओर से घेरकर हमला किया जाए।कुछ अनधिकृत मदरसों में इसकी मीटिंग हुई थी।वहां तय हुआ कि पुलिस पर हमले से इलाके में डर का माहौल बनेगा।

स्थानीय लोग भी उपद्रवियों को नहीं पहचानते

घटना के समय मौजूद पुलिस और स्थानीय लोगों ने बताया कि हिंसा फैलाने वाले अजनबी थे।वे अचानक प्रदर्शन में शामिल हुए और उत्पात मचाने लगे।बीएसएफ और डिटेक्टिव डिपार्टमेंट की संयुक्त रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस हिंसा का तरीका बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठनों जैसा था।इनमें जमात-ए-इस्लामी, जेएमबी और एबीटी शामिल हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरे का संकेत

फिलहाल पुलिस और खुफिया एजेंसियां इन युवाओं और उनके नेटवर्क की जांच में जुटी हैं।सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है और सुरक्षा बलों की तैनाती मजबूत की गई है।यह मामला अब सिर्फ कानून-व्यवस्था नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा गंभीर विषय बन चुका है।

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