चीन की चालाकी से निपटने के लिए भारत तैयार

चीन की चालाकी से निपटने के लिए भारत तैयार

भारत की म्यांमार के साथ द्विपक्षीय संबंध मजबूत बनाने के पीछे एशिया में चीन की चुनौती से निपटने की योजना भी है। म्यांमार अपने पहले सबमरीन को जल्द ही बेड़े में शामिल करने जा रहा है। यह सबमरीन भारत की ओर से औपचारिक तौर पर सौंपी जाएगी।

म्यामांर में चीन के दखल को रोकने के लिए भारत अपनी रणनीति पर काम कर रहा है। रूसी तकनीक वाले आईएनएस सिंधुवीर को सौंपना भारत की इसी रणनीति का हिस्सा है।

3,000 टन का आईएनएस सिंधुवीर 31 साल पुराना जरूर है, लेकिन रूस और भारत दोनों ही जगहों पर लगातार मरम्मत की गई है। इस लिहाज से आईएनएस सिंधुवीर नई तकनीक से लैस है और इसकी उपयोगिता बनी हुई है।

बांग्लादेश भी चीन के साथ सैन्य सहयोग लगातार बढ़ा रहा है।  म्यांमार की योजना ऐसे कुछ और किलो-क्लास सबमरीन सिंधुघोष खरीदने की योजना है। म्यामांर ने भारत से सबमरीन खरीदने का फैसला 2016 में बांग्लादेश द्वारा चीन से दो मिंग क्लास डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन खरीदने के बाद लिया। बांग्लादेश की योजना कॉक्स बाजार में चीन के साथ मिलकर एक सबमरीन बेस की स्थापना का भी है।

म्यांमार को सबमरीन सौंपने के साथ ही भारत इसके नाविकों के लिए ट्रेनिंग की भी व्यवस्था कर रहा है। म्यामांर के नाविकों को भारतीय नौसेना की ओर से विशाखापट्टनम में आईएनएस सतवाहन में ट्रेनिंग दी जा रही है।

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