फिर जहरीली चादर के आगोश में दिल्लीवासी, आखिर प्रदूषण कम करने के AAP ने बजट का कितने पैसे खर्चे? चौंका देंगे आंकड़े

फिर जहरीली चादर के आगोश में दिल्लीवासी, आखिर प्रदूषण कम करने के AAP ने बजट का कितने पैसे खर्चे? चौंका देंगे आंकड़े

Pollution In Delhi: देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली है और दुनिया भर से लोग यहां आकर रहते हैं और आते-जाते भी रहते हैं। यहां वायु प्रदूषण को लेकर कई बार चर्चाएं उठती रहती हैं। लेकिन एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के लिए केंद्र सरकार से मिले पैसे का केवल 29.5% ही इस्तेमाल किया है। ये पैसा 2019-20 से 2023-24 तक का है। यह रिपोर्ट सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी (CSE) नाम की संस्था ने जारी की है।

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम

दरअसल, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों में NCAP को चलाने के तरीके पर सवाल उठाए गए हैं। "राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम: सुधार के लिए एक एजेंडा" शीर्षक वाली रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है, लेकिन एनसीएपी के तहत अधिकांश धनराशि का उपयोग ईंधन जलने से होने वाले पीएम2.5 उत्सर्जन को कम करने के लिए किया जाता है। इसके बजाय, धूल नियंत्रण के उपाय किए गए हैं, जो कहीं अधिक हानिकारक हैं।

सड़क की धूल कम करने पर 64% खर्च

NCAP कार्यक्रम 10 जनवरी 2019 को लॉन्च किया गया था। इसका लक्ष्य 2025-26 तक दिल्ली सहित 131 प्रदूषित शहरों में हवा में पाए जाने वाले PM10 और PM2.5 के स्तर को 40% तक कम करना था। रिपोर्ट के मुताबिक, 131 शहरों के लिए कुल 10,566 करोड़ रुपये जारी किए गए। इस राशि का 64% सड़क की धूल को कम करने पर खर्च किया गया, जबकि जलने से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए बहुत कम पैसा दिया गया।

प्रदूषण कम करने पर बहुत कम खर्च

CSE(पर्यावरण विज्ञान और केंद्र) की प्रमुख सुनीता नारायण ने कहा कि एनसीएपी कार्यक्रम के लक्ष्य बहुत अच्छे हैं, लेकिन कार्यक्रम के तहत अधिकांश ध्यान और पैसा धूल को कम करने पर खर्च किया जा रहा है, न कि हवा को प्रदूषित करने वाली चीजों को कम करने पर। फ़ैक्टरियों और वाहनों जैसी चीज़ों को जलाकर प्रदूषण फैलाएँ। उन्होंने कहा कि एनसीएपी और 15वें वित्त आयोग के तहत खर्च की गई धनराशि का 64% सड़क की धूल को कम करने पर खर्च किया गया है। वहीं, जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने पर बहुत कम खर्च किया गया है - कारखानों से होने वाले प्रदूषण को कम करने पर केवल 0.6%, वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने पर 12.6% और चीजों को जलाने से होने वाले प्रदूषण को कम करने पर 14.5% खर्च किया गया है। को कम करने पर खर्च किया गया है।

हवा को साफ़ करने के उपाय क्या हैं?

रिपोर्ट में बताया गया है कि एक तरफ जहां NCAP के तहत पैसा पाने के लिए शहरों को हवा में पाए जाने वाले PM10 का कम स्तर दिखाना होता है, वहीं दूसरी तरफ क्लीन एयर सर्वे नाम के प्रोग्राम में शहरों को रैंकिंग दी जाती है। लेकिन उन्होंने हवा को साफ करने के लिए क्या उपाय किए हैं, जैसे पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाना, कचरा प्रबंधन करना, सड़क की धूल कम करना, लोगों को जागरूक करना और हां, यहां तक ​​कि पीएम 10 के स्तर में सुधार करना।

 

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