Delhi Mayor Election: दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी (AAP) की स्थिति कमजोर होती नजर आ रही है, जिससे आगामी मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बढ़त मिलने की संभावना बढ़ गई है। हाल ही में AAP के तीन पार्षदों के भाजपा में शामिल होने से नगर निगम की राजनीतिक गणित बदल गई है। इससे भाजपा के लिए 'ट्रिपल इंजन' सरकार की राह आसान हो सकती है, जिसमें केंद्र, राज्य और नगर निगम तीनों में पार्टी की सरकार होगी।
भाजपा को मिला संख्याबल में फायदा
तीन AAP पार्षदों के भाजपा में शामिल होने के बाद अब भाजपा के पार्षदों की संख्या 115 हो गई है, जबकि AAP के पास 116 पार्षद बचे हैं। हालांकि, निगम चुनावों में सिर्फ पार्षद ही नहीं, बल्कि अन्य निर्वाचित और मनोनीत प्रतिनिधि भी वोट डालते हैं। कुल 14 मनोनीत पार्षदों में से 13 भाजपा के हो सकते हैं, वहीं लोकसभा और राज्यसभा के 10 सांसदों में से 7 भाजपा के हैं। इसके अलावा, 12 पार्षद विधायक बन चुके हैं, जिससे उन सीटों पर उपचुनाव होना बाकी है। इन सभी फैक्टर्स को मिलाकर भाजपा को अतिरिक्त समर्थन मिलने की संभावना है।
विधानसभा चुनावों का असर और बदलता समीकरण
दिल्ली में कुल 250 वार्ड हैं, लेकिन मौजूदा समय में नगर निगम सदन में केवल 238 पार्षद ही हैं। 12 सीटें खाली हैं, जिन पर उपचुनाव होने हैं। भाजपा के आठ और AAP के तीन पार्षद विधायक बन चुके हैं, जिससे दोनों पार्टियों के संख्याबल पर प्रभाव पड़ा है। भाजपा की कमलजीत सहरावत पहले ही पश्चिमी दिल्ली से सांसद चुनी जा चुकी हैं।
मौजूदा राजनीतिक स्थिति
नगर निगम में वर्तमान संख्याबल:
भाजपा: 115 पार्षद
AAP: 116 पार्षद
कांग्रेस: 07 पार्षद
कुल: 238 पार्षद
खाली सीटें: 12
आगामी उपचुनाव और अप्रैल में होने वाले मेयर चुनाव नगर निगम की राजनीतिक तस्वीर बदल सकते हैं। भाजपा को हाल ही में मिली बढ़त से AAP के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण हो गई है। यदि भाजपा कुछ और पार्षदों का समर्थन जुटा लेती है, तो वह आसानी से मेयर पद पर कब्जा कर सकती है। ऐसे में दिल्ली की राजनीति में बड़ा उलटफेर संभव है, और निगम में भाजपा की सत्ता मजबूत हो सकती है।
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