Delhi Election: देश में कांग्रेस पार्टी की स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है। दिल्ली विधानसभा में, जहां आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी की सीटें बदलीं, वहीं कांग्रेस के लिए कोई बदलाव नहीं हुआ और पार्टी को जीरो सीट मिली। दिल्ली ही नहीं, देश के कई और राज्यों में भी कांग्रेस के पास एक भी विधायक नहीं है।
आंध्र प्रदेश में 2024में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पूरी ताकत से चुनाव लड़ा, लेकिन पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। अधिकांश कांग्रेस उम्मीदवार या तो तीसरे स्थान पर रहे या उनकी जमानत जब्त हो गई। एनडीए गठबंधन के पास यहां 164विधायक हैं, जबकि विपक्षी वाईएसआर पार्टी के पास 11विधायक हैं। उल्लेखनीय है कि आंध्र प्रदेश में 2014तक कांग्रेस की सरकार थी।
पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस का जीरो
पश्चिम बंगाल विधानसभा में 294सीटें हैं, और 2021में हुए चुनावों में कांग्रेस ने लेफ्ट फ्रंट के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन उसे एक भी सीट नहीं मिली। बंगाल में कांग्रेस का यह पहला मौका था जब वह जीरो सीट पर सिमट गई। तृणमूल कांग्रेस के पास यहां 224विधायक हैं, जबकि बीजेपी के पास 66विधायक हैं। इसके बाद के उपचुनावों में भी कांग्रेस को कोई जीत नहीं मिली है।
सिक्किम में कांग्रेस का शून्य
सिक्किम में विधानसभा की कुल 32सीटें हैं, लेकिन यहां भी कांग्रेस के पास एक भी सीट नहीं है। सिक्किम में सभी सीटों पर सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा का कब्जा है, जो बीजेपी के साथ गठबंधन में है।
नगालैंड में कांग्रेस की हार
नगालैंड में फरवरी 2023में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली। यहां एनडीपीपी के पास 25सीटें, बीजेपी के पास 12, और अन्य पार्टियों के पास कुछ सीटें हैं। दिलचस्प बात यह है कि नगालैंड में सभी पार्टियां सरकार में शामिल हैं और यहां कोई विपक्ष नहीं है।
पूर्वोत्तर के राज्यों में कांग्रेस की हालत
पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में कांग्रेस के पास एक-एक विधायक है:
- अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस के पास एक विधायक है, जबकि एनडीए के पास 59सीटें हैं।
- मेघालय और मिजोरम में भी कांग्रेस के पास एक-एक विधायक हैं।
- इसके अलावा, मणिपुर और पुडुचेरी में कांग्रेस के पास दो-दो विधायक हैं। पुडुचेरी में हाल तक कांग्रेस की सरकार थी, और मणिपुर में भी पार्टी का प्रभाव रहा है।
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