Wheat Export Ban: कभी कहा गया था भिखारी, आज अमेरिका भी मांग रहा भारत से मदद

Wheat Export Ban: कभी कहा गया था भिखारी, आज अमेरिका भी मांग रहा भारत से मदद

नई दिल्लीघरेलू बाजार में कीमतें बढ़ने के कारण भारत द्वारा गेहूं निर्यात पर लगाई गई पाबंदी का अमेरिका ने विरोध किया है। गेहूं निर्यात को लेकर भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है। यूरोपीय देशों के बाद अब अमेरिका ने भी भारत से फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया है। बुधवार को जी-7 देशों की एक विशेष बैठक में भी यह मुद्दा उठने की उम्मीद है। भारत को भी इसमें हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने आशंका जताई है कि भारत के कदम से विश्व में खाद्य संकट बढ़ सकता है। वहीं, इस बीच चीन ने इस मामले पर भारत का बचाव किया है। इस बीच, भारत सरकार ने आज गेहूं के निर्यात पर पाबंदी के आदेश में मामूली ढील दे दी है। ग्रीनफील्ड ने कहा कि हमने गेहूं निर्यात पर रोक को लेकर भारत के फैसले की रिपोर्ट देखी है। हम विभिन्न देशों को निर्यात को प्रतिबंधित नहीं करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, क्योंकि हमें लगता है कि निर्यात पर किसी भी पाबंदी से खाद्यान्न की और ज्यादा कमी हो जाएगी। भारत के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस पर विचार होगा। उम्मीद है कि भारत रोक हटाने पर पुनर्विचार करेगा।

इंडोनेशिया, तुर्की, मिस्र जैसे बड़े देशों के व्यापारी पूरी दुनिया में जहां भी गेहूं मिल रहा है, वहां से खरीद रहे हैं। भारत के साथ द्विपक्षीय वार्ताओं में कई देशों के नेताओं ने आने वाले दिनों में वैश्विक स्तर पर गेहूं संकट की आशंका जताई है। मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की प्रतिनिधि लिंडा थामस ग्रीनफील्ड ने कहा, 'हमें भारत की तरफ से गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध की सूचना मिली है। हम हर देश से आग्रह करेंगे कि इस तरह का कदम नहीं उठाएं। इससे वैश्विक स्तर पर संकट बढ़ेगा।' इस बारे में संयुक्त राष्ट्र ने बैठक भी बुलाई है जिसमें भारत हिस्सा लेगा।

मंगलवार को भारत सरकार की तरफ से यह स्पष्टीकरण आया है कि गेहूं निर्यात पूरी तरह नहीं रोका गया है, बल्कि उसे नियंत्रित किया गया है। निर्यात का फैसला सरकार के स्तर पर होगा। सरकारी सूत्रों ने बताया है कि वैश्विक बाजार में हर देश यही करता है। गेहूं के बदले इंडोनेशिया से पाम आयल के सौदे से भी इन्कार नहीं किया गया है। सूत्रों का कहना है कि जिन देशों को खाद्य सुरक्षा के लिए गेहूं की जरूरत होगी, उनके प्रस्तावों पर भारत ज्यादा सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगा।

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