IMF की गीता गोपीनाथ ने दी चेतावनी, AI की वजह से नौकरियों पर ये होगा असर

IMF की गीता गोपीनाथ ने दी चेतावनी, AI की वजह से नौकरियों पर ये होगा असर

AI Job Loss: देश दुनिया में AI का इस्तेमाल बढ़ते जा रहा है। आए दिन कोई न कोई आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस अलग अलग प्लेटफार्म पर लॉच किया जा रहा है। AI ने लोगों के काम को आसान बना दिया है। इस वक्त कंपनियों का बड़ा फोकस एआई पर है। ऐसे में भारतीय मूल की जानी मानी अर्थशास्त्री और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) की फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गीता गोपीनाथ ने इसके खतरों को लेकर बात की है।

गीता गोपीनाथ ने नियम बनाने की अपील की

गीता गोपीनाथ ने कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के चलते आने वाले दिनों में लेबर मार्केट में कई प्रकार की समस्यायें खड़ी हो सकती है। उन्होंने पॉलिसीमेकर्स से इस टेक्नोलॉजी को नियंत्रित करने के लिए जल्द से जल्द नियम बनाने की अपील की है। फाइनैंशियल टाइम्स के रिपोर्ट के मुताबिक गीता गोपीनाथ ने ये भी कहा है कि, हम चाहते हैं कि सरकारें, संस्थाएं और पॉलिसीमेकर्स रेग्यूलेशन बनाने के साथ लेबर मार्केट में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के चलते पैदा होने वाले व्यवधान से निपटने के लिए जल्द से जल्द तैयारी शुरू कर दें।

पॉलिसीमेकर्स को किया सतर्क

गीता गोपीनाथ ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से प्रभावित होने वाले कर्मचारियों के सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकारों को सोशल सेफ्टी नेट्स को बढ़ावा देना चाहिए। साथ ही ऐसी टैक्स पॉलिसी ( Tax Policy) तैयार करना चाहिए जिसके तहत वैसी कंपनियों को कतई प्रोत्साहन ना दें जो कर्मचारियों के बदले में मशीनों का इस्तेमाल करते हों। गीता गोपीनाथ ने पॉलिसीमेकर्स को इन कंपनियों से सतर्क रहने को कहा है जिन्हें नई टेक्नोलॉजी के मामले में चुनौती देना असंभव है।

इतने करोड़ जॉब पर खतरा

इससे पहले मार्च 2023में Goldman Sachsने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के चलते 30करोड़ फुलटाइम जॉब्स पर खतरा पैदा हो सकता है। बीते वर्ष पीडब्ल्युसी (PWC) ने अपने एनुअल ग्लोबल वर्कफोर्स सर्वे में कहा कि एक तिहाई लोगों को इस बात का डर सता रहा है कि अगले तीन वर्षों में नई टेक्नोलॉजी उनकी जगह ले सकता है।

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