HEALTH TIPS: मंकीपॉक्स ने बदले अपने लक्षण! जानें नए लक्षण

HEALTH TIPS: मंकीपॉक्स ने बदले अपने लक्षण! जानें नए लक्षण

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बाद मंकीपॉक्स ने दुनिया को डराना शुरू कर दिया है। बता दें कि मंकीपॉक्स ने 50 से ज्यादा देशों में अपने पैर पसार लिए है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग की मानें तो मंकीपॉक्स ज्यादा खतरनाक नहीं है, लेकिन ताजा रिपोर्ट की मानें तो कहा जा रहा है कि मंकीपॉक्स अपने लक्षण बदल रहा है। दरअसल ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के मरीजों के निजी अंगों में व्यापक जख्म मिले हैं। ये दुनियाभर में पूर्व में मिले मंकीपॉक्स के लक्षणों की तुलना में अलग हैं। इन मरीजों में जननांग और गुदा के आसपास त्वचा पर घाव दिखाई दिए। इससे पहले किए गए अध्ययन में मंकीपॉक्स के मरीजों की तुलना में इन मरीजों में थकान और बुखार जैसे लक्षण कम दिखे।

क्या है मंकीपॉक्स

मंकीपॉक्स एक चिकनपॉक्स की तरह का वायरस है लेकिन इसमें अलग तरह का वायरल संक्रमण होता है। ये सबसे पहले साल 1958 में कैद हुए एक बंदर में पाया गया था। साल 1970 में ये पहली बार ये किसी इंसान में पाया गया। ये वायरस मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के वर्षा वन इलाकों में पाया जाता है।

 

मंकीपॉक्स के लक्षण

•             मंक्सीपॉक्स के होने पर सपाट त्वचा का रंग बदलने लगता है

•             त्वचा पर लाल निशान और गांठें पड़ सकती हैं।

•             सफेद पस से भरे फफोले शरीर पर पड़ सकते हैं जोकि चिकन पॉक्स की तरह दिखाई देते हैं।

•             संक्रमण की रफ्तार कम होने पर फफोले सूखने लगते हैं और 21 दिन बाद खत्म हो जाते हैं।

•             मंकीपॉक्स चेहरे से फैलना शुरू होता है। फिर बाहों, हाथों, पैरों और जननांग समेत शरीर के बाकी हिस्सों में फैलता है।

 

मंकीपॉक्स का इलाज

मंकीपॉक्सके लिए वर्तमान में कोई विशिष्ट उपचार की सिफारिश नहीं की गई है। हालांकि चेचक के खिलाफ टीकाकरण रोग को रोकने में लगभग 85 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है इसलिए, यह मंकीपॉक्स के गंभीर लक्षणों को रोकने के लिए बचपन में चेचक के टीकाकरण की सिफारिश करता है।

भारत में सरकार द्वारा नई गाइडलाइनस जारी

•             संक्रामक अवधि के दौरान रोगी को 21 दिनों की तक लोगों से दूरी बनाए।

•             मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर लैब में टेस्टिंग करवाए।

•             मंकीपॉक्स के लिए पीसीआर या डीएनए टेस्टिंग ही मान्य होगी।

•             रोगी अपनी देखभाल, डायग्नोसिस, केस मैनेजमेंट आदि पर ध्यान दें।

•             रोगी को अपने ओर उनके सपंर्क में आए कपड़ों से भी दूरी बनाए रखें।

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