HARYANA: डस्ट पेंटिंग की शुरुआत करने वाली पहली महिला बनी निशा, युवाओं को दे रही रोजगार

HARYANA: डस्ट पेंटिंग की शुरुआत करने वाली पहली महिला बनी निशा, युवाओं को दे रही रोजगार

कुरूक्षेत्र: अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव कुरुक्षेत्र मे हस्तशिल्प मेले में लकड़ी के फ्रेम पर बनी निशा की स्टोन डस्ट पेंटिंग पर्यटकों को लुभा रही है। मार्बल की कटिंग के दौरान निकलने वाली धूल को एकत्रित करके बनाई गई यह पेंटिंग कभी खराब नहीं होती। इस नई विधा में निशा को 2010 में राष्ट्रीय अवार्ड मिल चुका है। निशा ने बताया कि पहले निशा व उनके पति सूरज ग्लास पेंटिंग करते थे। लेकिन बाद में 22 साल पहले उन्होंने स्टोन डस्ट पेंटिंग बनाने की ठानी।

शुरू में छोटी सी पेंटिंग बनाने में ही उसे महीनों लग गए थे। इसे बनाने के लिए मार्बल की कटिंग में निकलने वाले पाउडर को पहले छाना जाता है। इसके बाद बबूल के गोंद में मिलाकर मेहंदी लगाने वाली कीप में भरकर लकड़ी के फ्रेम पर टेक्स्ट पर लगाकर ड्राइंग की जाती है। इसके बाद आउटलाइन व फिलिंग का काम किया जाता है। इस प्रकार कई बार फिलिंग करने के बाद फाइनल आउटलाइन लगाई जाती है। अंत में इस पर नक्काशी करके फनिशिंग के लिए ऑयल कलर प्रयोग किया जाता है।

उन्होंने बताया कि यह पेंटिंग आउटडोर तथा इंडोर दोनों ही जगह पर रखी जा सकती है। यह कभी भी खराब नहीं होती। अपनी इस विधा के बारे में वह लगातार श्रम बस्ती में महिलाओं को प्रशिक्षण दे रही हैं। उन्हें प्रशिक्षण देकर कौशल विकास के बाद रोजगार के साथ जोड़ा जा रहा है। उन्होंने बताया कि साइज के हिसाब से इस पेंटिंग की कीमत अलग-अलग होती है। यहां पर 400 रूपये से लेकर पांच लाख तक की पेंटिंग मेले में रखी गई है। अगर कोई ग्राहक और भी बड़े प्रेम पर पेंटिंग बनवाना चाहता है तो उसी हिसाब से इसकी कीमत बढ़ती जाती है। ये पेंटिंग प्रदर्शनी में आकर्षक का केन्द्र बनी हुई है।

निशा ने कहा कि वह और उसके पति भारत में सबसे पहले ऐसे आर्टिस्ट है जिनमें देश में पहली बार डस्ट स्टोन पेंटिंग बनाई। जो लोगों को खूब लुभा रही है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती में पहली बार पहुंचे हैं लेकिन लोगों का हादसा रुझान को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि देश में जितने भी ऐसे कार्यक्रम होते हैं उन सभी में भाग लेने जाते हैं वहां पर अपनी पेंटिंग को बेचते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग आर्टिस्ट की कला को समझते  वह इस पेंटिंग को खरीदते हैं।  

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