करनाल: हरियाणा के करनाल रोक के बावजूद भी किसान फसल अवशेषों को आग के हवाले कर रहे हैं जिसकी वजह से जिले में अस्थमा, स्क्रीन और आंखों की एलर्जी के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। लोगों का शाम के समय घर से बाहर निकलना मुश्किल हो चुका है। हालांकि कृषि विभाग अधिकारियों ने दावा किया है कि इस साल पिछले साल की अपेक्षा 20 अक्टूबर तक करीब 200 केस कम दर्ज किए गए हैं। अधिकारियों का दावा है कि किसान जागरूक हो रहे हैं, जिसकी वजह से फसल अवशेष जलाने की घटनाओं में कमी आ रही है। दूसरी ओर डॉक्टरों की माने तो अस्थमा, स्किन और आंखों की एलर्जी के केस लगातार बढ़ रहे हैं अगर सावधानी ना बरती तो मरीज को सांस का अटैक भी आ सकता है।
उसके बावजूद भी किसान फसल अवशेष चला रहे हैं। जिला कृषि विभाग के उप निदेशक ने बताया 20अक्टूबर तक 397केस फसल अवशेष जलाने के दर्ज किए गए हैं, इनमें से 294किसानों को चिन्हित किया जा चुका है और 178किसानों पर 4.47लाख रुपए जुर्माना लगाया जा चुका है। 34किसानों पर एफ आई आर दर्ज कराई जा चुकी है। पिछले साल 20अक्टूबर तक 639केस दर्ज किए गए थे इस बार 397केस दर्ज किए गए हैं जो 200कम है। उन्होंने कहा कि किसान जागरुक हो रहे हैं और इसी वजह से फसल अवशेष जलाने के मामलों में कमी आ रही है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा किसानों को मशीनों पर 80परसेंट तक सब्सिडी दी जा रही है साथ ही किसानों को प्रति एकड़ ₹1000दिया जा रहा है ताकि वह फसल अवशेष ना चलाएं।
किसानों द्वारा फसल अवशेषों में आग जलाने से इन दिनों सरकारी व निजी अस्पतालो की ओपीडी में दमा, स्किन, आंखों की एलर्जी के केस बढ़ रहे हैं। फसल अवशेष जलाने के बाद जो धुंआ निकलता है वह मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। शाम के समय व्यक्ति घर से बाहर ना निकले क्योंकि वातावरण में धुएं के जहरीले कण मौजूद रहते हैं। जो लोगों के सांस के अटैक का भी कारण बन सकते हैं।
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