Haryana Assembly 2024: हरियाणा चुनाव में लगातार दो बार से सत्ता पर आसीन भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस - आप पर नजरें लगाए बैठी है। लोकसभा चुनाव में हरियाणा में पांच सीट हारने के बाद भाजपा आलाकमान सर्तक है। वो भी ऐसे समय में जब किसान भाजपा से नाराज बताए जा रहे हैं। जिसका फायदा कांग्रेस उठाना चाह रही है। भाजपा आलाकमान भी समझ रहा है कि तीसरी बार सत्ता हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ेगा। चुनौतियों पर चिंतन करते हुए बीजेपी नेतृत्व जीत की उम्मीद पाले हैं तो उसके भी अपने आधार हैं।
हरियाणा में भी गोवा वाला फॉर्मूला
बीजेपी अगर हरियाणा में हैट्रिक की उम्मीद लगाए बैठी है तो इसके पीछे गोवा फॉर्मूला बताया जा रहा है। भाजपा ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दुष्यंत चौटाला से नाता तोड़ लिया था। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा जाट वोट बैंक का विभाजन होना। जिसका फायदा भाजपा उठा सके। बीजेपी की नजरें खास तौर पर विपक्ष के दो गठबंधनों पर लगी है। जेजेपी, चंद्रशेखर की अगुवाई वाली आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) से गठबंधन कर मैदान है तो वहीं ओमप्रकाश चौटाला की इंडियन नेशनल लोक दल ने मायावती की बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया हैं।
क्या था गोवा फॉर्मूला ?
दरअसल 2022के गोवा विधानसभा में भाजपा और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी , टीएमसी ने एंट्री की। इसका सीधा - सीधा फायदा भाजपा को मिला। इन क्षेत्रिय पार्टी के आने से वोट में विभाजन हुआ। नतीजतन वहां पर भाजपा फिर से सत्ता हासिल की। 2022गोवा विधानसभा के दौरान आम आदमी पार्टी को 6.77फीसदी , रिवॉल्यूशनरी गोंस पार्टी को 9.21फीसदी टीएमसी को 5.21फीसदी और महाराष्ट्र गोमंतक पार्टी को 7.6फीसदी वोट मिले थे। जिसके बाद कांग्रेस को नुकसान हुआ था।
जाट के बाद दलित बड़ा वोटबैंक
हरियाणा में जाट के बाद दलित दूसरा सबसे बड़ा वोटबैंक है। राज्य की 17 सीटें दलितों के लिए आरक्षित हैं और ये 35 विधानसभा सीटों पर चुनाव नतीजे प्रभावित करकरने की स्थिति में हैं। जाट और दलित नेतृत्व का साथ आना हरियाणा की राजनीति की एक दिलचस्प तस्वीर पेश कर रहा है। बीजेपी को इस लोकसभा चुनाव में दलितों के लिए आरक्षित सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। कुमारी शौलजा की वजह से हरियाणा के दलित कांग्रेस को गंभीरता से लेने लगे हैं।
Leave a comment