किसान एफपीओ से जुड़कर खेती करें, इससे लागत में कमी आएगी और लाभ भी अधिक होगा- सीएम मनोहर लाल

किसान एफपीओ से जुड़कर खेती करें, इससे लागत में कमी आएगी और लाभ भी अधिक होगा- सीएम मनोहर लाल

Haryana cm manohar lal:  हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किसानों को कहा कि वह किसान एफपीओ से जुड़ कर खेती करें, ताकि उनकी कृषि लागत में कमी आए और उन्हें अधिक लाभ प्राप्त हो सके। इसके अलावा, किसान सूक्ष्म सिंचाई, टपका सिंचाई इत्यादि प्रणाली को अपनाएं। उन्होंने कहा कि समय की मांग के अनुसार आज किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने की आवश्यकता है। प्राकृतिक खेती से भूमि की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ती है और रासायनिक खाद पर निर्भरता न होने से उत्पादन लागत में भी कमी आती है और उत्पादन भी बढ़ता है।

 मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चंडीगढ़ में किसान उत्पादक समूहों, एफपीओ के किसानों से ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सीधा संवाद किया।मुख्यमंत्री ने  कहा कि किसानों को आधुनिक तकनीक प्रबंधन, भण्डारण, विपणन का ज्ञान प्रदान कर उनकी आय बढ़ाने की दिशा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फरवरी, 2020में किसान उत्पादक समूह की परिकल्पना की थी। देश में 10हजार एफपीओ बनाने का लक्ष्य रखा गया था। हरियाणा के किसान भी इस योजना का अधिकतम लाभ उठा रहे हैं। प्रदेश में 731एफपीओ बने हुए हैं।

उन्होंने कहा कि आज इन एफपीओ की उपलब्धि से प्रेरणा प्राप्त कर अन्य किसान भी एफपीओ से जुड़ेंगे। इस दौरान किसानों ने मुख्यमंत्री का धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार किसानों के लिए हितकारी योजनाएं क्रियान्वित कर रही है। सरकार की ओर से एफपीओ को वित्तीय सहायता तथा उत्पादों की ग्रेडिंग, ब्रांडिंग से संबंधित अन्य कई प्रकार की सहायता होने पर किसानों पर आर्थिक बोझ तो कम हुआ ही और साथ ही उन्हें अपनी उपज का सही दाम भी मिलने लगा है। मुख्यमंत्री ने इन सभी से बात करते हुए कहा कि यदि भविष्य में उन्हें किसी भी प्रकार की कोई कठिनाई का सामना करना पड़ता है तो, सरकार सदैव उनके साथ खड़ी है। सरकार की ओर से हर संभव मदद की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान अपने एफपीओ के माध्यम से पैक हाउस बनाकर उसमें अपनी उपज का भंडारण कर उसे खराब होने से बचा सकते हैं। साथ ही उपज की ग्रेडिंग और पैकेजिंग भी स्वयं करके न केवल बिचौलियों के शोषण से बचेंगे, बल्कि बाजार से भी सीधे जुड़ेंगे। साथ ही फसल सीजन समाप्त होने पर भी कृषि उत्पाद की आपूर्ति पैक हाउस से की जाती रहेगी और किसान को आय प्राप्त होती रहेगी। इससे भी आगे बढ़कर किसान विभिन्न प्रकार के कृषि उत्पाद स्वयं तैयार कर सकते हैं, जैसे टमाटर की प्यूरी, अदरक - लहसुन का पेस्ट बनाना, सूखा प्याज इत्यादि। इस प्रकार किसान केवल पैदावार करने वाले किसान ही नहीं रहेंगे, बल्कि कृषि आधारित लघु उद्योग चलाने वाले उद्यमी बन जाएंगे।

उन्होंने कहा कि हरियाणा में ताजे फलों और सब्जियों की आपूर्ति के लिए काफी संभावनाएं मौजूद हैं। जिला यमुनानगर में हल्दी की पैदावार होती है। वहां हल्दी के उत्पाद तैयार किये जा सकते हैं। इसी प्रकार, जिला सिरसा में किन्नू और कुरुक्षेत्र में आलू, करनाल में सब्जियों व जिला सोनीपत में बेबीकॉर्न व मशरूम की भरपूर पैदावार होती है। उन्होंने कहा कि एफपीओ सहकारी क्षेत्र का आधुनिक स्वरूप है। हरियाणा में वीटा भी इसका एक उदाहरण है। सहकारी क्षेत्र की तरह एफपीओ में लगभग 300किसान मिलकर काम करते हैं। इसलिए अधिक से अधिक किसान एफपीओ से जुड़ें। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रगतिशील किसानों को अन्य प्रगतिशील किसान तैयार करने के लिए प्रेरित करना होगा इसके लिए सरकार प्रगतिशील किसानों को प्रोत्साहन प्रदान करेगी।

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