HARYANA NEWS: वृद्धा अवस्था पेंशन घोटाला की जांच करेंगी CBI, इतने दिनों में सौंपी जाएंगी रिर्पोट

HARYANA NEWS: वृद्धा अवस्था पेंशन घोटाला की जांच करेंगी CBI,  इतने दिनों में सौंपी जाएंगी रिर्पोट

चंडीगढ़:हरियाणा में कैग की रिपोर्ट में वृद्धावस्था पेंशन देने के मामले में हुए घोटाले की जांच को लेकर हाईकोर्ट में चल रहे मामले में अब हाईकोर्ट ने इस मामले को सीबीआई को जांच के लिए सौंप दिया है। इस मामले में याचिकाकर्ता राकेश बैंस ने जांच के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था ।

इस मामले में जानकारी देते हुए याचिकाकर्ता के वकील प्रदीप रापड़िया ने बताया कि हरियाणा में पेंशन देने के मामले में घोटाला हुआ था। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि वृद्धावस्था पेंशन के नाम पर 40 साल से कम के उम्र के लोगों को भी इस पेंशन का पात्र बनाया गया था । यहां तक कि मृत लोगों को भी वृद्धावस्था पेंशन दी जा रही थी । इसके साथ ही कई लोग सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद भी वृद्धावस्था पेंशन भी पा रहे थे। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इस घोटाले के मामले में याचिकाकर्ता राकेश बैंस ने सीबीआई, ईडी और हरियाणा सरकार को पत्र लिखा था।

उन्होंने जानकारी जानकारी दी थी कि साल 2011 में हुड्डा सरकार के वक्त कैग की रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि यह बहुत बड़ा घोटाला है । इस मामले में कैग की रिपोर्ट पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई, हमने जब कैग की रिपोर्ट को सरकार को भेजा फिर भी कार्रवाई नहीं हुई, इसके बाद हमने इस मामले में सीबीआई जांच के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई।
उन्होंने जानकारी देते हुए अभी बताया कि फरवरी में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इस मामले में विजिलेंस ब्यूरो और सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी से 2011 से अभी तक हुई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी । इसके साथ यह भी जानकारी मांगी गई थी कि जिस दौरान ये घोटाला हुआ उस दौरान कौन-कौन से आईएएस अधिकारी संबंधित विभागों में तैनात थे । जिनकी इस मामले में कार्रवाई करने की जिम्मेदारी बनती थी ।

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि आज हुई सुनवाई के दौरान एंटी करप्शन ब्यूरो और सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट की ओर से इस मामले में एफिडेविट कोर्ट में पेश किया गया । उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि एफिडेविट में बड़े यह हैरान करने वाले तथ्य सामने आए हैं । जिसमें जानकारी सामने आई है कि अभी भी 7 करोड़ से अधिक की रिकवरी किया जाना बाकी है। जबकि अभी तक मात्र 4 करोड रुपए ही रिकवर किए गए । उनके मुताबिक उन्होंने एफिडेविट में जानकारी दी है लेकिन यह घोटाला इससे भी ज्यादा का है।

जानकारी देते हुए बताया कि इस दौरान करीब 10 से 15 आईएएस अधिकारी इन विभागों में तैनात थे जिनकी यह जिम्मेदारी बनती थी । इसके साथ ही उन्होंने यह भी जानकारी दी कि इस मामले में एक भी एफआईआर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत दर्ज नहीं हुई । उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इस मामले में सारी एफआईआर 420, 467, 468 के तहत दर्ज की गई और मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया गया ।

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