कुतुबमीनार परिसर मामले पर 9 जून को आएगा कोर्ट का फैसला, जानें क्या है पूरा मामला

कुतुबमीनार परिसर मामले पर 9 जून को आएगा कोर्ट का फैसला, जानें क्या है पूरा मामला

नई दिल्ली:  ज्ञानवापी मस्जिद मामला अभी शांत नहीं हुआ था कि एक नया कुतुब मीनार परिसर का मामला कोर्ट में जा पहुंचा है। जहां आज की सुनवाई पूरी हो चुकी है वहीं 9 जून को कोर्ट का फैसला आना का इंतजार है। कोर्ट ने ASI और हिंदू पक्ष को एक हफ्ते में लिखित में जवाब मांगा है। बता दें कि कुतुब मीनार परिसर में स्थित मुगल मस्जिद में नमाज लंबे समय से होती रही है, जिस पर 13 मई को रोक लगा दी गई थी।

दरअसल कुतुब मीनार परिसर को लेकर कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी किकुतुब मीनार में हिंदू देवी-देवताओं की कई मूर्तियां मौजूद हैं। याचिका में कहा गया कि कुतुब मीनार परिसर में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां हैं। 27 हिंदू और जैन मंदिरों को ध्वस्त कर कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद बनाई गई थी। परिसर में कई जगहों पर कलश, स्वास्तिक और कमल जैसे प्रतीक चिन्ह हैं। इस परिसर में हिंदू और जैन देवी-देवताओं की बहाली हो और पूजा करने का अधिकार मिलना चाहिए। वहीं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानी एएसआई ने हलफनामा दाखिल कर याचिका को खारिज करने की मांग की है।

कुतुब मीनार परिसर में मंदिरों के जीर्णोद्धार से संबंधित अंतरिम अर्जी में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने साकेत कोर्ट में हलफनामा दायर कर दिया है। एएसआई ने याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि कुतुब मीनार एक स्मारक है और इस तरह की संरचना पर कोई भी मौलिक अधिकार का दावा नहीं कर सकता है। एएसआई ने यह भी कहा कि इस जगह पर पूजा करने का कोई अधिकार नहीं दिया जा सकता है। एएसआई ने हलफनामे में कहा है कि AMASR अधिनियम 1958 के तहत कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत किसी भी जीवित स्मारक पर पूजा शुरू की जा सकती है।

माननीय दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश तारीख 27/01/1999 में स्पष्ट रूप से ये उल्लेख किया है। हालांकि एएसआई ने खुद माना है कि परिसर में ऐसे शिलालेख मौजूद है जो यह साबित करते हैं कि वहां पर 27 हिंदू और जैन मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया था और सामग्री का फिर से उपयोग करके परिसर केअंदर कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद खड़ी की गई थी। इसके अलावा कुतुब मीनार को बनाने की शुरुआत कुतुबुद्दीन ऐबक ने की थी और उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने पूरा कराया था। कुतुबुद्दीन ऐबक पृथ्वीराज चौहान को हराने वाले मोहम्मद गोरी का पसंदीदा गुलाम और सेनापति था। वह गोरी ऐबक को दिल्ली और अजमेर का शासन सौंपकर वापस लौट गया था।  1206 में गोरी की मौत के बाद ऐबक आजाद शासक बन गया और उसने दिल्ली सल्तनत की स्थापना की।

 

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