नई दिल्ली : आज यानि की 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा है. वहीं गुरु पूर्णिमा वो दिन है जब लोग अपने गुरु, शिक्षकों का सम्मान करने के साथ ही उनकी पूजा भी करते हैं. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के पर्व के रूप में मनाया जाता है. इसे महर्षि वेद व्सास की जयंती पर इस पर्व को मनाया जाता है.
आपको बता दें कि, इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म भी हुआ था, इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं. वहीं चारों वेदों, 18 पुराणों , महाभारत के रचयिता और कई अन्य ग्रंथों के रचनाकार का श्रेय महर्षि वेद व्यास को दिया जाता है. वहीं गुरु पूर्णिमा की सुबह सबसे पहले स्नान कर साफ कपड़े पहनकर अपने घर के पूजा स्थल पर लगी देवी-देवताओं को प्रणाम करते हुए उनकी विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करनी चाहिए.
वहीं इसके बाद पूजा स्थल पर रखें अपने गुरु की तस्वीर को माला फूल अर्पित कर उनका तिलक करना चाहिए. पूजा करने के बाद अपने गुरु के घर जाकर उनका पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए. ये भी बता दें कि, गुरु पूर्णिमा पर्व के दिन गुरु पूजा के लिए मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए. पूर्णिमा की तिथि 4 जुलाई को सुबह 11 बजकर 33 मिनट पर लग गई थी और ये 5 जुलाई की सुबह 10 बजकर 13 मिनट तक रहेगी.
बता दे कि, उस गुरु की महिमा का बखान करने का दिन, जो हमें भगवान और सृष्टि से रुबरु कराता है. जो हमें जीवन जीना सिखाता है. जो दुनियादारी की हकीकतों से हमें वाकिफ कराता है. गुरु हमारी बंद आंखें खोलता है, ताकि हम अच्छा और बुरा का भेद जान सकें.
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