जयपुर: राजस्थान में सियासी खटपट चरम पर है. मंगलवार को कांग्रेस ने सचिन पायलट और उनके समर्थकों पर बड़ा एक्शन लिया है. सचिन पायलट को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष से हटा दिया गया है. सचिन पायलट से डिप्टी सीएम का भी पद छिन लिया गया है. साथ उनके तीन करीबी मंत्रियों को भी मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाया गया है. जिसके बाद सियासी गलियारों में हड़कंप मच गया. सचिन के पद गंवाने के बाद बीजेपी खुलकर मैदान में आ गई. बीजेपी नेता रीता बहुगुणा ने सचिन पायलट को खुला न्योता दिया है. रीता बहुगुणा ने कहा कि सचिन को बीजेपी में शामिल हो जाना चाहिए. बीजेपी में सचिन पायलट को बहुत सम्मान मिलेगा. बता दें कि सचिन पायलट की जगह कांग्रेस ने गोविंद सिंह डोटासरा को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. डोटासरा तीन बार विधायक रह चुके है.
गोविंद सिंह डोटासरा का जन्म एक अक्टूबर 1964 को लक्ष्मणगढ़ के कृपाराम जी की ढाणी गांव में हुआ. इनके पिता मोहन सिंह डोटासरा सरकारी अध्यापक थे. डोटासरा ने राजस्थान विश्वविद्यालय से बीकॉम और एलएलबी की पढ़ाई की है. गोविंद सिंह डोटासरा जाट समुदाय से आते हैं, जो राजस्थान की सियासत में काफी अहम माना जाता है. जाट मतदाता बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता है, जिसे साधने के लिए कांग्रेस ने पायलट की जगह डोटासरा को पार्टी की कमान सौंपी है.
गोविंद सिंह डोटासरा ने छात्र राजनीति के बाद युवा कांग्रेस में सक्रिय होकर कार्य किया था. वे युवक कांग्रेस में विभिन्न पदों पर रहे. 2005 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लक्ष्मणगढ़ जिले सीकर पंचायत समिति सदस्य का चुनाव लड़ा. इस चुनाव में गोविंद सिंह विजय हुए और लक्ष्मणगढ़ पंचायत समिति के प्रधान भी चुने गए. गोविंद सिंह डोटासरा ने इसके बाद पलटकर पीछे नहीं देखा और सियासत में आगे बढ़ते गए. डोटासरा के राजनीतिक जीवन में उनके राजनीतिक गुरु और कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष चौधरी नारायण सिंह का भी बड़ा योगदान रहा. डोटासरा लगातार सात साल तक सीकर के कांग्रेस जिला अध्यक्ष रहे हैं. इस तरह से संगठन की बेहतर समझ रखते हैं. लक्ष्मणगढ़ विधानसभा सीट से वो लगातार तीन बार विधायक हैं.अब कांग्रेस ने डोटासरा को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है.
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