पहले निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला, जीतने के बाद भाजपा को दिया समर्थन; हुड्डा सरकार में रह चुकी हैं मंत्री

पहले निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला, जीतने के बाद भाजपा को दिया समर्थन; हुड्डा सरकार में रह चुकी हैं मंत्री

Haryana Election Result: हरियाणा में भाजपा में इस बार पिछले 10 साल के आंकड़े को पछाड़ते हुए शानदार प्रदर्शन किया है। अप्रत्याशित जीत से लबरेज भाजपा को अब खुशखबरी भी मिलनी शुरू हो गई है। जिसके बाद भाजपा का मनोबल सातवें आसमान पर है। बता दें कि हिसार से विधायक सावित्री जिंदल ने भाजपा को समर्थन करने का ऐलान कर दिया था।
 
गौरतलब है कि सावित्री जिंदल ने हिसार से निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय किया था। चुनाव में उन्होंने भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी को हराया। वहीं चुनाव जीतने के बाद उन्होंने भाजपा को समर्थन करने का ऐलान किया है। बता दें कि उनके बेटे नवीन जिदल पहले ही भाजपा से सांसद हैं। वह हरियाणा के कुरुक्षेत्र से सांसद हैं।       
 
भाजपा ने नहीं दिया था टिकट      
 
बता दें कि हरियाणा की हिसार सीट से बीजेपी ने इस बार सावित्री जिंदल को टिकट नहीं दिया। वो टॉर्च निशान के साथ निर्दलीय चुनाव में उतरीं और जीत हासिल की। 74 वर्षीय सावित्री जिंदल ने कांग्रेस प्रत्याशी राम निवास राणा को 18,941 वोटों के अंतर से हराया। उन्हें 49,231 वोट मिले थे। भाजपा के प्रत्याशी कमल गुप्ता तीसरे स्थान पर रहे। सावित्री जिंदल ने अपने सांसद बेटे नवीन जिंदल के साथ केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता धर्मेंद्र प्रधान और सांसद बिप्लव देब से दिल्ली में मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद उन्होंने भाजपा को समर्थन देने का निर्णय लिया।  
 
हुड्डा सरकार में रह चुकी है मंत्री 
 
सावित्री जिंदल ने पति के निधन के बाद 2005 में जिंदल ग्रुप की कमान संभाली थीं। वहीं, मां की जीत के बाद बेटे नवीन जिंदल ने जीत का निशान दिखाते हुए तस्वीर सोशल मीडिया शेयर किया था। बता दें कि वो देश की सबसे अमीर महिला हैं और पांचवीं सबसे अमीर भारतीय हैं। 36.3 बिलियन डॉलर की संपत्ति उनके पास है। सावित्री जिंदल की कंपनी स्टील और बिजली उत्पादन, खनन और बंदरगाह जैसे व्यापार से जुड़ी हुई है।  सावित्री जिंदली ने 2005 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर हरियाणा विधानसभा का चुनाव जीता था और 2009 में अपनी जीत को दोहराया था। सावित्री जिंदल हुड्डा सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं।  हालांकि इसी साल अपने बेटे नवीन जिंदल के बाद उन्होंने भी भाजपा ज्वाइन किया था लेकिन टिकट ना मिलने पर बगावत करते हुए निर्दलीय ही चुनाव लड़ा। 

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