Javed AkhtarOn Rama-Sita: वरिष्ठ कवि और गीतकार जावेद अख्तर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। वह अपने बेबाक बयान और विचारों के लिए जाने जाते है। हाल ही में गीतकार ने भगवान राम और सीता माता पर अपने विचार व्यक्त किए, जो अब सुर्खियों में हैं। मौका था राज ठाकरे द्वारा आयोजित दीपोत्सव कार्यक्रम का, जिसमें जावेद अख्तर शामिल हुए थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भगवान राम और सीता न केवल हिंदू देवी-देवता हैं बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत हैं।
जावेद अख्तर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भले ही वह नास्तिक हैं, लेकिन राम और सीता को इस देश की संपत्ति मानते हैं और इसीलिए उन्होंने इस कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने कहा कि रामायण हमारी सांस्कृतिक विरासत है।
'राम और सीता की धरती पर जन्म लेने का गर्व'
गीतकार ने आगे कहा कि उन्हें राम और सीता की भूमि पर जन्म लेने पर गर्व है और जब हम मर्यादा पुरूषोत्तम की बात करते हैं तो राम और सीता ही याद आते हैं। अपनी बात रखते हुए जावेद अख्तर ने लोगों से 'जय सिया राम' के नारे लगाने को भी कहा। लखनऊ में अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि बचपन में वह ऐसे लोगों को देखते थे जो अमीर होते थे और वे गुड मॉर्निंग कहते थे। लेकिन सड़क से गुजरने वाला एक आम आदमी 'जय सिया राम' कहकर लोगों का स्वागत करता था।
'सीता और राम को अलग-अलग सोचना पाप'
उन्होंने कहा, इसलिए सीता और राम को अलग-अलग सोचना पाप है। सिया राम शब्द प्रेम और एकता का प्रतीक है। सिया और राम को एक ही शख्स ने अलग किया, वो था रावण। तो जो उन्हें अलग करेगा वह रावण होगा। उन्होंने आगे लोगों से जय सिया राम के नारे लगाने और मेरे साथ तीन बार जय सिया राम कहने को कहा।
अभिव्यक्ति की आज़ादी कैसे कम हो गई है?
जावेद अख्तर ने इस बात पर भी जोर दिया कि कैसे अभिव्यक्ति की आजादी कम हो गई है। उन्होंने कहा कि अगर वह आज 'शोले' का वह सीन लिख रहे होते, जिसमें हेमा मालिनी धर्मेंद्र को छोड़कर मंदिर जाती हैं, तो वह और सलीम खान आज वह सीन नहीं लिखते। क्योंकि आज के समाज में अगर किसी को यह बात बुरी लगे तो आप समझ जायेंगे कि अज्ञानता बढ़ गयी है।
'हिंदुओं के दिलों में हमेशा महानता थी'
उन्होंने आगे कहा कि अतीत में कुछ लोग ऐसे थे जो हमेशा असहिष्णु थे। लेकिन हिंदू ऐसे नहीं थे। हिंदुओं की खास बात यह है कि उनके दिल में हमेशा महानता रहती है। लेकिन अगर आप इससे उबर जाते हैं, तो आप हर किसी की तरह बन जाते हैं। आपके जीवन जीने के तरीके से हमने सीखा है। यदि आप इसे छोड़ देंगे तो यह काम नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि 'मुझे इस धरती पर जन्म लेने पर गर्व है।'
भारत में लोकतंत्र कैसे जीवित है?
जावेद अख्तर ने कहा कि अगर भारत को छोड़ दें तो भूमध्य सागर तक कोई दूसरा देश नहीं है जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था हो। यहां लोकतंत्र है क्योंकि यहां कोई भी कुछ भी सोच सकता है। जो मूर्तिपूजक है वह भी हिन्दू है, जो मूर्तिपूजक नहीं है वह भी हिन्दू है। जो एक ईश्वर को मानता है वह भी हिंदू है और जो सभी देवी-देवताओं को मानता है वह भी हिंदू है। जो किसी की पूजा नहीं करता वह भी हिंदू है। हिंदू संस्कृति हमें लोकतांत्रिक मूल्य देती है। इसी कारण भारत में लोकतंत्र जीवित है।
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