अब मच्छरों की खैर नहीं, यह मछली करेंगी डेंगू-मलेरिया का खात्मा

अब मच्छरों की खैर नहीं, यह मछली करेंगी डेंगू-मलेरिया का खात्मा

नई दिल्ली: बरसात के मौसम में मच्छर की तादाद बढ़ना आम बात है जिससे डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। इनसे बचने के लिए आप हर ना मुमकिल कोशिश करते है। घर की साफ-सफाई कर लेते है, लेकिन घर के बाहर जलभराव से मच्छर पनपते है और घर में आते है। हालांकि मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करते है। ऐसे में आज हम आपको एक मछली के बारे में बताएंगे। जो डेंगू-मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को खत्म कर सकती है।

मछलियां कई तरह की होती हैं, जिसमें से कुछ खाने लायक होती हैं तो वहीं कुछ एक्वेरियम में रखने के काम आती हैं। क्या आपने कभी ऐसी मछली का नाम सुना है जो डेंगू-मलेरिया के मच्छरों से निपटने में काम आती है?इस मच्छर को आपको बस उस जलभराव वाली जगह पर डालना मछली अपने आप मच्छरों का खत्म कर देगी।

इस मछली का इस्तेमाल तालाब, स्विमिंग पूल में किया जाता है। ताकि मच्छरों की पैदावर को रोका जा सके। दरअसल इस मछली को गंबूसिया या मच्छर मछली के नाम से जाना जाता है। ये मछली देखने में बेहद छोटी सी दिखाई देती है। जो एक्वैरियम में बहुत कम देखी जाती है। इस मछली की दो प्रजातियां हैं, जिसमें पश्चिमी मच्छर मछली जो बिक्री के लिए उपलब्ध हैं, और पूर्वी मच्छर मछली जो कभी भी मछली की दुकानों में नहीं पाई जाती हैं।

आपको बता दें कि यह मच्छर मछली मच्छरों के लार्वा को खाती है। जिससे मच्छरों की पैदावर कम हो जाती है। वहीं मच्छरों की आबादी को खत्म करने के लिए इस मच्छर मछली को जानबूझकर तालाबों, फव्वारे, जानवरों के कुंड और स्विमिंग पूल में रखा जाता है। इस मछली को खाना खिलाने की जरूरत नहीं होती है। मच्छर मछली अंडे नहीं देती है और प्रजनन के लिए किसी विशेष वातावरण की जरुरत नहीं होती है।

बारिश के मौसम में जब जगह-जगह पानी भर जाता है तब डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ये बुखार मच्छरों के काटने से फैलता है। एडीस मच्छर के काटने से होने वाली इस बीमारी में पूरे शरीर में दर्द शुरू हो जाता है। बारिश के मौसम में ये मच्छर ज्यादा पनपते हैं।

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