चुनाव का हुआ ऐलान नेता हो गए तैयार

चुनाव का हुआ ऐलान नेता हो गए तैयार

हरियाणा विधानसभा चुनाव में उतरने के लिए सभी पार्टियों ने ताल तो ठोक दी है, और जनता के बीच पहुंचने का सिलसिला भी जारी है। अब अगला पड़ाव जिसे पार करना शायद हर एक दल के लिए चुनौती बना हुआ है, वो है टिकट बंटवारा और उम्मीदवारों के नामों का ऐलान एक या दो दलों को छोड़ दिया जाए तो अभी किसी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। क्योंकि अभी शायद सभी WAIT AND WATCH  की स्थिति में हैं। वहीं टिकट बंटवारे में इस बार परिवारवाद का फैक्टर कितना हावी रहेगा, ये देखना भी खास रहेगा।

चुनावी तारीखों के ऐलान के साथ ही, सियासी गलियारों में हलचल तेज़ हो गई। और इस वक्त जो चर्चा आम है वो है टिकट वितरण टिकट वितरण इस वक्त हर एक दल के लिए टेढ़ी खीर बना हुआ है। कोई इस लिए परेशान है कि उसके पास जिताऊ चेहरों की या यूं कहें कि उम्मीदवारों की कमी है। तो कोई टिकट दावेदारों की भारी संख्या को लेकर फिक्रमंद है। इस वक्त सभी की निगाहें बीजेपी में टिकट वितरण पर टिकी हैं। 

क्योंकि चर्चा ये भी है कि लक्ष्य 75 पार को लेकर चल रही बीजेपी अपने कई मौजूदा विधायकों की विकट भी गिरा सकती है। और जो दल-बदलकर बीजपी मेंशामिल हुए हैं उन्हें टिकट दे सकती है। क्योंकि इस फॉर्मूले पर बीजेपी साल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में काम कर चुकी है। उस वक्त बीजेपी ने जीत का लक्ष्य हासिल करने के लिए , करीब 67 चेहरों को बदला था। और 27 ऐसे लोगों को टिकट दी गई थी जो दल बदलकर बीजेपी में शामिल हुए थे। इस बार बहुत से ऐसे विधायकों को सीएम मनोहर लाल ने बीजेपी में शामिल किया है, जहां 2014 के चुनाव में बीजेपी को मात खानी पड़ी थी।

भले ही पार्टी ने इन्हें बिना शर्त बीजेपी में शामिल किया हो, लेकिन जो अपने इलाके में मजबूत जनाधार रखते हैं, पार्टी उन्हें आजमा सकती है। ऐसी स्थिति में टिकटों में बड़े बदलाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। उधर बीजेपी हाईकमान ने पहले ही साफ कर दिया है कि मौजूदा सांसदों के किसी परिवार के सदस्य को टिकट नहीं दिया जाएगा। वहीं शिअद के साथ टिकट बंटवारे की बात भी बीजेपी के लिए टेंशन बढ़ा रही है। टिकट, टेंशन किसके लिए बना है,और परिवारवाद टिकट वितरण पर इस बार कितना हावी रहने वाला है।

बीजेपी इस बार अपने लक्ष्य 75 पार को हासिल करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही जाहिर है टिकट बंटवारा भी पार्टी सोच समझकर ही करेगी। और उन्हीं उम्मीदवारों पर दांव लगाएगी जो जिताऊ होंगे। वहीं विपक्ष को भी ऐसे ही चेहरों की तलाश है, जो जनता के बीच विश्वसनीय हों, और जिताऊ हों देखना दिलचस्प होगा कि उम्मीदवारों का चयन इस बार पार्टियां किस आधार पर उम्मीदवारों का चयन करती हैं।

 

 

 

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