One Nation One Election: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार संसद के इस सत्र या अगले सत्र के दौरान 'एक देश, एक चुनाव विधेयक पेश कर सकती है। इसके अलावा इस बिल को विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा जा सकता है। बता दें कि एक देश, एक चुनाव पर रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को कैबिनेट से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है।
बता दें कि, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई बनी समिति ने 62राजनीतिक पार्टियों से संपर्क साधा था। इनमें से 32ने एक देश, एक चुनाव का समर्थन किया था। जबकि 15पार्टियां इसके विरोध में थीं। 15ऐसी पार्टियां थीं, जिन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी।
लोगों से लिए जाएंगे विचार
दरअसल, सरकार चाहती है कि इस बिल पर आम सहमति बने और सभी हितधारकों से विस्तार चर्चा होनी चाहिए। जेपीसी सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से बातचीत करेगी। साथ ही सभी राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों को चर्चा के लिए बुलाया जा सकता है। इसके अलावा देश भर के बुद्धिजीवियों और आम लोगों के विचार लिए जाएंगे। एक देश एक चुनाव के फायदे, इसे संचालित करने के तरीकों पर विस्तार से चर्चा होगी। सरकार को उम्मीद है कि इस बिल पर आम सहमति बन जाएगी।
पीएम मोदी ने लाल किले से किया था वादा
गौरतलब है कि एक देश, एक चुनाव' मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है। 2024 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में भी भाजपा ने इसका जिक्र किया था और वादा किया था कि कमेटी की सिफारिशों को लागू करने पर काम किया जाएगा। इसी साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने एक देश, एक चुनाव के लिए सभी से आगे आने का आग्रह किया था। तब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि देश में बार-बार चुनाव, देश की प्रगति में रुकावट बन रहे है। गतिरोध पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि कोई भी योजना को चुनाव के साथ जोड़ देना आसान हो गया है। क्योंकि, हर तीन महीने, छह महीने में कहीं न कहीं चुनाव होता है।
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