5 साल... 5 मेयर, जानें कैसे होता इनका चुनाव

5 साल... 5 मेयर, जानें कैसे  होता इनका चुनाव

नई दिल्ली: दिल्ली में एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी को शानदार जीत मिली है, उन्हें 250 सीटों में से 134 सीटों पर कब्जा दर्ज किया है। वहीं भाजपा को 104 सीटें मिलीं, जबकि अन्य के खाते में 3 सीटें गई है। वहीं कांग्रेस को सिर्फ 9 सीटें मिलीं है। दिल्ली के एमसीडी चुनाव में पूर्ण बहुमत के लिए 126 सीटों की जरूरत होती है।

चुनाव की जीत के बाद अब बात है मेयर के दावेदारी की। बता दें दिल्ली में एमसीडी चुनाव में जनता ने भले ही आप को चुना है लेकिन दूसरी तरफ बीजेपी अपना मेयर का दावा बनाने की बात कर रही है। बीजेपी की तरफ से आदेश गुप्ता का बयान भी आया कि इंतजार कीजिए, मेयर बीजेपी का ही बनेगा। वहीं आप नेता संजय सिंह ने दावा किया कि बीजेपी एमसीडी चुनाव हार गई है। आप का ही मेयर इस बार बनेगा।

इसके बाद उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता ने देश को संदेश दिया है कि उनके बेटे का उत्पीड़न करोगें तो वोट की ताकत से जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भाजपा  खोखा पार्टी है। इन तमाम आरोपों के बीच अब यह सवाल उठ रहा है कि एमसीडी में हार के बावजूद किस आधार पर बीजेपी का मेयर चुना जा सकता है। वहीं आज हम अपकों बताएंगे कि कैसे मेयर का चुनाव होता है और पार्टी कैसे हर साल अलग मेयर चुनती है?

ऐसे चुना जाता है मेयर, सांसद भी करते हैं वोट

एमसीडी में पिछली बार कुल 270 वार्ड थे, लेकिन तीनों MCD का एकीकरण होने के बाद अब कुल 250 वार्ड हैं। 250 वार्ड के बावजूद मेयर के चुनाव में 260 सीटों पर वोट डाले जाते हैं। दरअसल, ऐसा इसलिए है क्योंकि मेयर को चुनने के लिए अकेले पार्षद ही नहीं दिल्ली के सांसद भी वोटिंग करते हैं। दिल्ली में 7 लोकसभा सांसद हैं तो 3 राज्यसभा सांसद हैं। इसलिए कुल 260 वोट डाले जाते है और 131 वोट पाने वाले को मेयर घोषत किया जाएगा। गौरतलब है कि दिल्ली में सातों लोकसभा सांसद भाजपा के और तीनों राज्यसभा सांसद AAP के हैं। एमसीडी सदन की पहली बैठक के बाद ही मेयर के चुनाव की प्रक्रिया शुरू कि जाती है।

हर साल होता है मेयर का चुनाव

दिल्ली नगर निगम एक्ट के मुताबिक पांच साल के इस कार्यकाल में कोई भी पार्षद मेयर नहीं बन सकता है। इसके लिए रिजर्वेशन नियम का पालन करना पड़ता है। नियमों के तहत पहले साल महिला पार्षद ही मेयर बन सकेगी जबकि तीसरा साल अनुसूचित जाति का कोई पार्षद ही इस सीट के लिए दावेदारी कर सकता है। इसके अलावा बचे तीन वर्ष अनारक्षित होते हैं यानी इन वर्षो में कोई भी पार्षद इस पद के लिए दावेदारी कर सकता है।

Leave a comment