97 करोड़ के घोटाले में जस्टिस यशवंत वर्मा पर लगे थे आरोप, CBI ने की थी जांच

97 करोड़ के घोटाले में जस्टिस यशवंत वर्मा पर लगे थे आरोप, CBI ने की थी जांच

Yashwant Varma Cash Row: दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हाल ही में उनके आधिकारिक आवास में आग लगने की सूचना मिली। दमकल विभाग मौके पर पहुंचा और आग बुझाने के दौरान बड़ी मात्रा में नकदी बरामद हुई। इस घटना से न्यायपालिका और प्रशासन में हलचल मच गई है। माना जा रहा है कि यह मामला पुराने सिम्भौली शुगर मिल फ्रॉड केस से जुड़ा हो सकता है। इस केस में जस्टिस वर्मा पहले से ही आरोपी रह चुके हैं।

बता दें कि,2018में सीबीआई (CBI) ने सिम्भौली शुगर मिल्स लिमिटेड के खिलाफ करोड़ों रुपये के गबन का मामला दर्ज किया था। आरोप था कि कंपनी ने ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स से 97.85करोड़ रुपये का ऋण लिया, जो किसानों के नाम पर था। लेकिन इस रकम को अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया गया। इस घोटाले की जांच में जस्टिस वर्मा का नाम भी सामने आया था। उस समय वे कंपनी में नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे। हालांकि, बाद में जांच धीमी हो गई और कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

CBI जांच पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, फिर उठा मामला

फरवरी 2024में एक अदालत ने सीबीआई को इस घोटाले की जांच फिर से शुरू करने का आदेश दिया था। लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को रद्द कर दिया। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अब जस्टिस वर्मा के घर से नकदी बरामद होने के बाद यह घोटाला फिर से चर्चा में आ गया है।

जस्टिस वर्मा का तबादला, कांग्रेस ने सरकार को घेरा

इस घटनाक्रम के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा का इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि यह फैसला नकदी बरामदगी के कारण नहीं लिया गया।दूसरी ओर, कांग्रेस ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, "यह जांच का विषय है कि यह पैसा कहां से आया और किसके लिए था।"

सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होगी जांच

दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने आंतरिक जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले की रिपोर्ट जल्द ही भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को सौंपी जाएगी।

इस घटनाक्रम के बाद जस्टिस वर्मा के 22 साल पुराने न्यायिक करियर पर सवाल उठ रहे हैं। इससे न्यायपालिका की निष्पक्षता और पारदर्शिता को लेकर नई बहस छिड़ गई है।

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