दिल्ली के रानी झांसी रोड बाजार में रविवार को आग लगने से कम से कम 43 लोगों की मौत हो गई, जबकि एक दर्जन से अधिक लोग घायल हुए हैं। घटना में मारे गए लोग मजदूर हैं, जो कारखाने में रविवार सुबह आग के दौरान सो रहे थे।
इस बड़ी घटना के बाद सवाल उठने लगे हैं कि रिहायशी इलाके में इतनी बड़ी फैक्ट्री कैसे चल रही थी। अगर फैक्ट्री को एनओसी नहीं मिली तो बिना परमिशन के कैसे चल रही थी। इसी के साथ यह भी सवाल उठने लगे हैं कि दिल्ली में ऐसी कौन सी जगह हैं जहां अवैध फैक्ट्रियां चल रही हैं और इस गड़बड़ी के पीछे कौन सी एजेंसी जिम्मेदार हैं।
बात दें, दिल्ली में कहां कौन सी जगह पर किस तरीके की फैक्ट्री या कारोबार चल रहे हैं, उसकी जिम्मेदारी सीधे-सीधे एमसीडी की होती है। दिल्ली नगर निगम न सिर्फ कहीं पर फैक्ट्री या कमर्शियल काम के लिए लाइसेंस और मंजूरी देती है, बल्कि अगर कहीं अवैध तरीके से कोई कामकाज चल रहा है तो उसको सील करने की जिम्मेदारी भी उसी की होती है।
दिल्ली के दमकल विभाग यानी कि दिल्ली फायर सर्विस की जिम्मेदारी सभी ऐसी जगह पर जहां पर इस तरीके के निर्माण हैं या कामकाज चल रहे हैं, उन्हें नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) देने की जिम्मेदारी होती है। समय-समय पर फायर डिपार्टमेंट को ऐसे इलाकों पर नजर भी रखनी होती है जहां अवैध फैक्ट्रियां चल रही हैं और जो आग की संभावनाओं को बढ़ावा दे रही हैं, उनके खिलाफ डिपार्टमेंट एक्शन भी ले सकता है।
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