Crude Oil War: भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आई भारी गिरावट, जानिए कारण

Crude Oil War:  भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आई भारी गिरावट, जानिए कारण

नई दिल्ली: सऊदी अरब के तेल की कीमतों में दाम गिराने के बाद अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमत में खासी कमी दर्ज की जा रही है. कच्चे तेल के सबसे बड़े निर्यातकों मेंसेएक इस देश ने कीमतों में कटौती की घोषणा साथ ही उत्पादन को बढ़ाने के बाद ही कीमतों में दर्ज की जा रही है.

राजधानी दिल्ली में ही सोमवार को पेट्रोल में 24 पैसे की गिरावट आई है, जिससे यह 70.59 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है। वहीं, डीजल यहां 25 पैसे की गिरावट के साथ 63.26 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है। देश के अन्य बड़े महानगरों की बात करें, तो कोलकाता में पेट्रोल सोमवार को 23 पैसे की गिरावट के साथ 73.28 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है और डीजल यहां 25 पैसे की गिरावट के साथ 65.59 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है।

इस वजह से लंदन का ब्रेंट क्रूड वायदा 28फीसदी तक गिर गया. बे्रंट की कीमत 12.07गिरकर 32.57तक आ गई. कारोबार शुरू होने के एक समय तो यह 31.02बैरल तक उतर गया था जो फरवरी 2016के बाद तक का न्यूनतम स्तर है.

अमेरिका का कू्रड वायदा भी 13.29यानी 35फीसदी टूटकर 27.99प्रति डाॅलर रह गया. जनवरी 1991के बाद एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट है. उस समय खाड़ी युद्ध के दौरान इतनी बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी. कच्चे तेल के उत्पादन को लेकर ओपेक और गैर ओपेक देशों के बीच समझौता टूटने के बाद यह स्थिति बनी है दरअसल इन देशों में उत्पादन को लेकर लंबे समय से करार चला आ रहा है कि सभी तेल उत्पादक देश एक सीमित मात्रा में ही तेल का उत्पादन करेंगे.

तीन करोड़ प्रति बैरल बढ़ाएगा उत्पादन

गत सप्ताह ही इन देशों में तेल में उत्पादन को लेकर बैठक हुई थी लेकिन इस मसले पर उनमें कोई सहमति नहीं बन पाई थी. पिछला समझौता इस महीने के अंत में समाप्त हो रहा है. वहीं रूस ने कटौती की बात को सिरे से खारिज कर दिया है. ओपेक ने यह प्रस्ताव तैयार किया था.

बता दें कि सऊदी अरब ने नए समझौत पर सहमति न बन पाने के कारण अगले महीने से तीन करोड़ बैरल प्रति दिन तेल उत्पादन को बढ़ाने को फैसला किया है. यही वजह है कि आने वाले अगले कुछ महीनों में कच्चे तेल की अन्तर्राष्ट्रीय कीमतों पर दबाव बना रहेगा. जाहिर है तेल के दाम दुनिया के कई देशों में घटने की पूरी संभावना है. हालांकि कीमतों का निर्धारण वहां की सरकार के हाथों में ही होता है लेकिन दाम घटने से इंकार नहीं किया जा सकता.

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